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बुधवार, 21 अगस्त 2013

"पीर के कुछ बीज"

"पीर के कुछ बीज" : कविता वाचक्नवी


सोमवार 19 अगस्त के  'दैनिक जागरण' (राष्ट्रीय) के साहित्यिक परिशिष्ट "सप्तरंग : साहित्यिक पुनर्नवा" में मेरी एक लगभग 15 बरस पूर्व लिखी गई कविता "पीर के कुछ बीज" प्रकाशित हुई है, रोचक बात यह थी कि 18 की रात (भारत में तब 19 की भोर हुई ही होगी) से ही इस कविता पर पचासों साहित्यिक लोगों की प्रतिक्रिया फेसबुक के मेरे इनबॉक्स में आ चुकी थी । 

ईमेल से आने वाली प्रतिक्रियाओं का ताँता अभी भी लगा हुआ है। यह पहली बार है जब दूर-दराज के अनजान से अनजान व्यक्तियों तक से इतनी भारी मात्रा में किसी एक रचना पर लगातार सुखद प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। इस से दैनिक जागरण के प्रसार व पाठक-क्षमता का पता भी चलता है। समाचार पत्र के प्रति आभारी हूँ कि उन्होंने मेरे रचना को यों जन-जन तक पहुँचाया।  



जो लोग ऑनलाईन अंक देखना चाहें वे यहाँ 19 अगस्त 2013 का ई-पेपर देख सकते हैं - 

http://epaper.jagran.com/homepage.aspx

कुछ प्रतिक्रियाएँ यहाँ देखी जा सकती हैं -https://www.facebook.com/kvachaknavee/posts/10151770927014523






शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

लोहा सारा गला हुआ है : एक पुरानी कविता : (डॉ.) कविता वाचक्नवी


पानी बरसेगा
- (डॉ.) कविता वाचक्नवी
अपनी पुस्तक " मैं चल तो दूँ " (2005 ) से उद्धृत 

Waiting for the Rain
Artist: Ruth Burnik 









सुनती हूँ - "पानी बरसेगा"
जंगल, नगर, ताल प्यासे हैं
मुरझाया पेड़ों का बाना।

इतने दिन का नागा करती
वर्षा की पायल की आहट
सुनने को पत्थर आकुल हैं
लोहा सारा गला हुआ है
उसको पानी में ढलना है,

सलवट-सलवट कटा हुआ
पैरों के नीचे
पृथ्वी का आँचल पुकारता
पानी....पानी....पानी....पानी....।

बादल अपने नियत समय पर
इसको
उसको
सबको
उनको
पानी देंगे
तब आएँगे।
अभी समय
नहीं आया है।

सुनती हूँ -
पानी बरसेगा.....।
      



मंगलवार, 26 जून 2012

लंदन में आज आकाश से काव्यवर्षा : - (डॉ॰) कविता वाचक्नवी

लंदन में आज आकाश से काव्यवर्षा :   - (डॉ॰) कविता वाचक्नवी



साहित्य को लेकर जितना अराजकता, छल और निकृष्टता का वातावरण हिन्दी में है, वह अनुपमेय है। 


मैं आँख खोलने से लेकर होश सम्हालने व उसके बरसों बाद तक भी साहित्य के प्रति अत्यंत महनीय, पावन व आदरास्पद वातावरण में पली बढ़ी हूँ और तत्कालीन अनेक श्रेष्ठ साहित्यकारों के वात्सल्य की छाया में भी;  अतः साहित्य और रचनाकर्म से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत श्रद्धा और सम्मान का संस्कार व भाव मेरे मन का एक स्थाई भाव रहा है। अक्षुण्ण भी। 


किन्तु कुछ वर्ष पूर्व नॉर्वे की अपनी गृहस्थी को ताला लगा कर भारत जाने पर जैसे-जैसे हिन्दी के साहित्यिक/ भाषिक परिदृश्य और इनके तत्कालीन कर्ता-धर्ताओं को निकट से जाना समझा तैसे-तैसे मूर्ति टूटती चली गई और अब तो पूरी की पूरी तहस नहस हो चुकी है जैसे। इतनी अधिक त्रस्त हूँ वातावरण का हाल देख-सुन, समझ कर कि मेरे लिए अपने संस्कारों के भीतर मरते अपने आप को बचाए रखना मुश्किल हो गया है। हरदम इस पीड़ा से त्रस्त हूँ कि क्यों देश, भाषा और नायकों के प्रति श्रद्धा के संस्कार रोपे, पिता जी ने और आचार्यों ने ! हर पल हृदय में जैसे कोई घोंपे हुए भालों को बाहर खींच रहा हो ... ऐसी पीड़ा और त्रास है... जैसे अपना, कुछ बहुत व्यक्तिगत-सा, नष्ट हो रहा है... हो गया है.....! अस्तु। 


इन सब के मध्य कुछ चीजें पलों का नहीं बल्कि दीर्घकालीन सुख दे जाती हैं। आज भी ऐसा ही हुआ। 






आज अभी अभी संवाद आया कि आज ही सायं Southbank Centre (सेंन्ट्रल लंदन) पर 9 बजे Rain of Poems का आयोजन है। वस्तुतः यह आयोजन 26, 27 और 28 जून में से किसी भी एक दिन होना तय था जिस भी दिन मौसम खुला, सूखा व चमकीला रहेगा।  तो वह दिन आज आया है। अतः आज ही यह सम्पन्न होगा।


  कविताओं के  The Poetry Parnassus नामक समारोह  के अंतर्गत जैसे ही सूर्यास्त होगा उसी समय एक हेलिकॉप्टर से विश्व-भर के व अलग अलग भाषाओं के 300 समकालीन कवियों की 100,000 (एक लाख) कविताओं की वर्षा लंदन के जुबली गार्डन में आज दोपहर से इसी प्रयोजन से एकत्रित हो रही भीड़) पर की जाएगी। इस काव्य-वर्षा के साथ इस वर्ष के (The Poetry Parnassus) समारोह का उद्घाटन हो जाएगा। 


 हेलीकॉप्टर से कविताओं की वर्षा का यह क्रम निरंतर आधा घंटा चलेगा। कविताएँ बुकमार्क्स आकृति  के रूप में उन पर अंकित होंगी। लोग लपक लपक कर उन कविताओं को अपने साथ ले जाते हैं, पढ़ते हैं और संग्रहित कर रखते हैं। 


 यू.के.  के  इस सबसे बड़े काव्य-समारोह (The Poetry Parnassus)  का आयोजन लंदन 2012 फ़ेस्टिवल  के आयोजनों की शृंखला में किया जा रहा है। इस (The Poetry Parnassus) समारोह के आगामी दिनों में विश्व की अलग अलग 50 भाषा बोलियों के कवि, कहानीकार, लेखक, वक्ता और लोकगायक  अपनी अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे और प्रस्तुतियाँ देंगे। 


एक वेबलिंक के माध्यम से साधारण जनता को अपनी  पसंद के रचनाकर को नामांकित करने का अधिकार दिया गया था। जिसमें जनता ने 6000 लोगों को दुनिया की सभी भाषाओं से चुना व नामांकित किया। 


आगामी कुछ दिनों में ओलंपिक्स के कारण लंदन में जुटने वाले दुनिया-भर के लोगों को सामाजिक दायित्वों व मानवीय संवेदना के प्रति जागरूक रहने की अपनी इच्छा, वरीयता व प्राथमिकता का संदेश देने के लिए इस आयोजन से ओलंपिक्स समारोह शृंखला का  सूत्रपात किया जा रहा है।  आज विश्व-भर के रचनाकार लंदन में एकत्रित हो रहे हैं, हो चुके हैं। 


इस पूरे आयोजन की प्रेरणा ग्रीकस्थित Mount Parnassus से ली गई है। Mount Parnassus को ग्रीक मिथक परंपरा में Home of Muses कहा जाता है जो साहित्य, विज्ञान और कलाओं की देवी मानी जाती हैं।


इस दृश्य का नजारा कुछ यों होगा (बर्लिन आयोजन में Bombing of Poems  नाम से हुए ऐसे ही एक आयोजन की झलक) -       



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अपडेट 
(27 जून मध्यरात्रि 00.10 बजे )

आज का अद्भुत कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

विश्व में पाँच स्थानों ( Berlin, Warsaw, Guernica, Dubrovnik, Santiago de Chile) के बाद छठे स्थल के रूप में कुछ घंटे पूर्व यह भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।

लंदन की Belvedere Road को ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया था क्योंकि सैकड़ों लोग शेल सेंटर की ओर दौड़ रहे थे ताकि आकाश से उतरती कविताओं को लपक सकें क्योंकि हवा का रुख व गति बदल जाने से कविताएँ वाटरलू स्टेशन की ओर उड़ी जा रही थीं। अभी अभी नई लैंडस्केपिंग के बाद जुबली गार्डन पर आयोजित यह पहला समारोह था।

इस समारोह का एकदम ताज़ा वीडियो देखें -





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