बुधवार, 28 जुलाई 2010

रोटी कब तक पेट बाँचती? : (डॉ.) कविता वाचक्नवी

रोटी कब तक पेट बाँचती? : (डॉ.) कविता वाचक्नवी 



रोटी कब तक पेट बाँचती?
 [ अपने कविता संकलन "मैं चल दूँ" (२००५) से  उद्धृत ]




सत्ता के संकेत कुटिल हैं
ध्वनियों का संसार विकट
विपदा ने घर देख लिए हैं
नींवों पर आपद आई
वंशी रोते-रोते सोई
पुस्तक लगे हथौड़ों-सी
उलझन के तख़्तों पर जैसे
पढ़े पहाड़े   -    कील ठुँकें,
दरवाजे बड़-बड़ करते हैं
सीढ़ी धड़-धड़ बजती है

रोटी अभी सवारी पर चढ़
धरती अंबर घूमेगी
दुविधाओं के हाथों में बल नहीं बचा
सुविधाएँ मनुहार-मनौवल भिजवाएँ।


रोटी कब तक पेट बाँचती?



***

शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

वर्ष २००९ का केदार सम्मान घोषित

इस वर्ष का केदार सम्मान अष्टभुजा शुक्ल को देने का निर्णय लिया गया





समकालीन कविता के महत्वपूर्ण चर्चित कवि अष्टभुजा शुक्ल को  उनके  कविता संग्रह "दु:स्वप्न  भी आते है" के लिए वर्ष २००९ का केदार सम्मान देने का निर्णय किया गया है|



निर्णय की प्रशस्ति में लिखा गया है कि  -

" कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं, जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है| ऐसे समय में, जब कविता 'पन्त' की प्रसिद्ध  कविता "भारतमाता ग्रामवासिनी" से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं  "जो खेत में लिख सकता  है वही कागज़ पर भी लिख सकता है"; फिर उनकी कविता का केंद्र न केवल प्रसिद्ध काव्यलक्षण सौन्दर्य है, बल्कि जनजीवन के पूर्ण सुख दुःख भी हैं| यही कारण है कि उनकी सरल सपाट- सी दिखने वाली कविता में भी कविता का जीवन धडकता है| उनके कविता संग्रह  "दु: स्वप्न भी आते हैं" की कविताएँ बाजारवाद और भूमंडलीकरण के चक्रवात के बीच  दूर दराज गाँवों के लोगों के पक्ष में खड़ी कविताएँ हैं| "


ज्ञातव्य है कि उक्त संकलन  "दु: स्वप्न भी आते हैं"  वर्ष २००४ में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया| 



प्रति वर्ष दिया जाने वाला यह चौदहवाँ केदार सम्मान है| इस से पूर्व समकालीन कविता के चर्चित १३ कवियों को केदार सम्मान से सम्मानित  किया जा चुका है



अष्टभुजा शुक्ल का जन्म बस्ती जनपद में १९५४ में हुआ था| वर्तमान में संस्कृत महाविद्यालय चित्राखोर (बस्ती) में अध्यापन कार्य करते हैं| इनके अब तक तीन काव्य संग्रह आ चुके हैं| कविता के अतिरिक्त ललित निबंधों व पदों की रचना के कारण वे अपनी विशेष पहचान हिन्दी जगत् में बना चुके हैं|



निर्णय की घोषणा आज २३ जुलाई को की गई है|



- केदार शोध पीठ न्यास, बाँदा 
- नरेन्द्र पुण्डरीक, सचिव केदार सम्मान समिति
- (डॉ.) कविता वाचक्नवी, सदस्य : कार्यकारिणी  


   

शनिवार, 10 जुलाई 2010

‘भाषा’ के नए अंक में पुस्तक-चर्चा : रंग शब्दावली

पुस्तक चर्चा : रंग शब्दावली



२००९ के जनवरी माह में " हिन्दुस्तानी एकेडेमी, १२-डी, कमला नेहरु मार्ग, इलाहाबाद - २११००१ ( उ.प्र.) भारत"   द्वारा मेरी एक पुस्तक  "समाजभाषा-विज्ञान : रंगशब्दावली : निराला काव्य"  छप कर आई थी, जिसका विमोचन कार्यक्रम भी एकेडेमी सभागार में ही सम्पन्न हुआ था| 


उस समय एकेडेमी के आयोजन- समारोह  व पुस्तक के सम्बन्ध में आए २-३ लेखों के पश्चात् कई मित्रों ने और विस्तार से जानकारी देने को कहा। 


दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद के विश्वविद्यालय विभाग (उच्च शिक्षा और शोध संस्थान) के अध्यक्ष/आचार्य प्रो. ऋषभदेव शर्मा  जी द्वारा पुस्तक पर केन्द्रित एक आलेख केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की द्वैमासिक हिन्दी पत्रिका "भाषा" के  मई-जून २०१०  अंक में प्रकाशित हुआ है। 

उस लेख का अविकल पाठ आप  निम्नानुसार चित्रों पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं - 












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