मैंने दीवारों से पूछा
कविता वाचक्नवीचिह्नों भरी दीवारों से पूछा मैंनें
किसने तुम्हें छुआ कब – कब
बतलाओ तो
वे बदरंग, छिली – खुरचीं- सी
केवल इतना कह पाईं -
हम तो
पूरी पत्थर- भर हैं
जड़ से
जन से
छिजी हुईं
कौन, कहाँ, कब, कैसे
दे जाता है
अपने दाग हमें
त्यौहारों पर कभी
दिखावों की घड़ियों पर कभी – कभी
पोत- पात, ढक – ढाँप – ढूँप झट
खूब उल्लसित होता है
ऐसे जड़ – पत्थर ढाँचों से
आप सुरक्षा लेता है
और
ठुँकी कीलों पर टाँगे
कैलेंडर की तारीख़ें
बदली – बदली देख समझता
इन पर इतने दिन बदले ।
अपनी पुस्तक "मैं चल तो दूँ " (२००५, सुमन प्रकाशन) से उद्धृत
दीवारो का दर्द ..बहुत बखुबी से बया किया है कविता जी..
जवाब देंहटाएंवाह...दीवारों ने खूब बताया हाल...हकीक़त यही है...
जवाब देंहटाएंबहुत गहन रचना..दिल को छू गई.
जवाब देंहटाएंबढिया है। सच है...‘कौन कहां दे जाता है दाग’... बहुत सुंदर,मन को छूने वाली पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंoh; nari tan-man ka satik pratbimb bana diya aapne deevaron ko.....ek utkrisht rachna....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता दिल को छू गयी ये गहरी अभिव्यक्ति शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकविता को जिस साज-संभाल और कुशलता से आपने रचा है, वह अद्भूत है. मेरी बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंnicely written ,GAGAR MEIN SAGAR
जवाब देंहटाएंBahut khub Kavita ji hameshan ki tarah.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकविता जी बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशव्दों को चुन चुन कर आप ने पंक्तियों मजबूत पकड़ बनायीं है ..........
चिह्नों भरी दीवारों से पूछा मैंने
किसने तुम्हें छुआ कब – कब
बतलाओ
bahut sunder rachna,badhai
जवाब देंहटाएंकविता जी, दीवारों के भाव भी..रचना पर बधाई.
जवाब देंहटाएंसच है, दीवारे भी बहुत कुछ कहती हैं। अंग्रेजी में तो उक्ति ही है- ‘see the writing on the wall'
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
मैंने कभी एक कहानी सुनी थी जो इस प्रकार है - किसी घर में जब लड़का पैदा होता है तब उस घर की दीवारें रोया करती हैं यह सोच कर कि यदि लड़का काबिल निकला तो यह मुझे गिरा कर नयी दीवाल खड़ी कर देगा और नालायक निकला तो बिना देख रेख के धीरे- धीरे घुल- घुल के गिर जाना ही मेरी नियति बन जाएगी !दीवारों कि व्यथा तो पुरातन कहानिओं में भी छुपी है ! सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए वधाई !
जवाब देंहटाएंदेव्वारो कि कहानी तो सदियों से चली आ रही हैं ...बहुत बढिया शब्द रचना ....आभार
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