लंदन में आज आकाश से काव्यवर्षा : - (डॉ॰) कविता वाचक्नवी
आज अभी अभी संवाद आया कि आज ही सायं Southbank Centre (सेंन्ट्रल लंदन) पर 9 बजे Rain of Poems का आयोजन है। वस्तुतः यह आयोजन 26, 27 और 28 जून में से किसी भी एक दिन होना तय था जिस भी दिन मौसम खुला, सूखा व चमकीला रहेगा। तो वह दिन आज आया है। अतः आज ही यह सम्पन्न होगा।
कविताओं के The Poetry Parnassus नामक समारोह के अंतर्गत जैसे ही सूर्यास्त होगा उसी समय एक हेलिकॉप्टर से विश्व-भर के व अलग अलग भाषाओं के 300 समकालीन कवियों की 100,000 (एक लाख) कविताओं की वर्षा लंदन के जुबली गार्डन में आज दोपहर से इसी प्रयोजन से एकत्रित हो रही भीड़) पर की जाएगी। इस काव्य-वर्षा के साथ इस वर्ष के (The Poetry Parnassus) समारोह का उद्घाटन हो जाएगा।
इस पूरे आयोजन की प्रेरणा ग्रीकस्थित Mount Parnassus से ली गई है। Mount Parnassus को ग्रीक मिथक परंपरा में Home of Muses कहा जाता है जो साहित्य, विज्ञान और कलाओं की देवी मानी जाती हैं।
POETRY PARNASSUS
साहित्य को लेकर जितना अराजकता, छल और निकृष्टता का वातावरण हिन्दी में है, वह अनुपमेय है।
मैं आँख खोलने से लेकर होश सम्हालने व उसके बरसों बाद तक भी साहित्य के प्रति अत्यंत महनीय, पावन व आदरास्पद वातावरण में पली बढ़ी हूँ और तत्कालीन अनेक श्रेष्ठ साहित्यकारों के वात्सल्य की छाया में भी; अतः साहित्य और रचनाकर्म से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत श्रद्धा और सम्मान का संस्कार व भाव मेरे मन का एक स्थाई भाव रहा है। अक्षुण्ण भी।
किन्तु कुछ वर्ष पूर्व नॉर्वे की अपनी गृहस्थी को ताला लगा कर भारत जाने पर जैसे-जैसे हिन्दी के साहित्यिक/ भाषिक परिदृश्य और इनके तत्कालीन कर्ता-धर्ताओं को निकट से जाना समझा तैसे-तैसे मूर्ति टूटती चली गई और अब तो पूरी की पूरी तहस नहस हो चुकी है जैसे। इतनी अधिक त्रस्त हूँ वातावरण का हाल देख-सुन, समझ कर कि मेरे लिए अपने संस्कारों के भीतर मरते अपने आप को बचाए रखना मुश्किल हो गया है। हरदम इस पीड़ा से त्रस्त हूँ कि क्यों देश, भाषा और नायकों के प्रति श्रद्धा के संस्कार रोपे, पिता जी ने और आचार्यों ने ! हर पल हृदय में जैसे कोई घोंपे हुए भालों को बाहर खींच रहा हो ... ऐसी पीड़ा और त्रास है... जैसे अपना, कुछ बहुत व्यक्तिगत-सा, नष्ट हो रहा है... हो गया है.....! अस्तु।
इन सब के मध्य कुछ चीजें पलों का नहीं बल्कि दीर्घकालीन सुख दे जाती हैं। आज भी ऐसा ही हुआ।
आज अभी अभी संवाद आया कि आज ही सायं Southbank Centre (सेंन्ट्रल लंदन) पर 9 बजे Rain of Poems का आयोजन है। वस्तुतः यह आयोजन 26, 27 और 28 जून में से किसी भी एक दिन होना तय था जिस भी दिन मौसम खुला, सूखा व चमकीला रहेगा। तो वह दिन आज आया है। अतः आज ही यह सम्पन्न होगा।
कविताओं के The Poetry Parnassus नामक समारोह के अंतर्गत जैसे ही सूर्यास्त होगा उसी समय एक हेलिकॉप्टर से विश्व-भर के व अलग अलग भाषाओं के 300 समकालीन कवियों की 100,000 (एक लाख) कविताओं की वर्षा लंदन के जुबली गार्डन में आज दोपहर से इसी प्रयोजन से एकत्रित हो रही भीड़) पर की जाएगी। इस काव्य-वर्षा के साथ इस वर्ष के (The Poetry Parnassus) समारोह का उद्घाटन हो जाएगा।
हेलीकॉप्टर से कविताओं की वर्षा का यह क्रम निरंतर आधा घंटा चलेगा। कविताएँ बुकमार्क्स आकृति के रूप में उन पर अंकित होंगी। लोग लपक लपक कर उन कविताओं को अपने साथ ले जाते हैं, पढ़ते हैं और संग्रहित कर रखते हैं।
यू.के. के इस सबसे बड़े काव्य-समारोह (The Poetry Parnassus) का आयोजन लंदन 2012 फ़ेस्टिवल के आयोजनों की शृंखला में किया जा रहा है। इस (The Poetry Parnassus) समारोह के आगामी दिनों में विश्व की अलग अलग 50 भाषा बोलियों के कवि, कहानीकार, लेखक, वक्ता और लोकगायक अपनी अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे और प्रस्तुतियाँ देंगे।
एक वेबलिंक के माध्यम से साधारण जनता को अपनी पसंद के रचनाकर को नामांकित करने का अधिकार दिया गया था। जिसमें जनता ने 6000 लोगों को दुनिया की सभी भाषाओं से चुना व नामांकित किया।
आगामी कुछ दिनों में ओलंपिक्स के कारण लंदन में जुटने वाले दुनिया-भर के लोगों को सामाजिक दायित्वों व मानवीय संवेदना के प्रति जागरूक रहने की अपनी इच्छा, वरीयता व प्राथमिकता का संदेश देने के लिए इस आयोजन से ओलंपिक्स समारोह शृंखला का सूत्रपात किया जा रहा है। आज विश्व-भर के रचनाकार लंदन में एकत्रित हो रहे हैं, हो चुके हैं।
इस पूरे आयोजन की प्रेरणा ग्रीकस्थित Mount Parnassus से ली गई है। Mount Parnassus को ग्रीक मिथक परंपरा में Home of Muses कहा जाता है जो साहित्य, विज्ञान और कलाओं की देवी मानी जाती हैं।
इस दृश्य का नजारा कुछ यों होगा (बर्लिन आयोजन में Bombing of Poems नाम से हुए ऐसे ही एक आयोजन की झलक) -
POETRY PARNASSUS
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अपडेट
(27 जून मध्यरात्रि 00.10 बजे )
आज का अद्भुत कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
विश्व में पाँच स्थानों ( Berlin, Warsaw, Guernica, Dubrovnik, Santiago de Chile) के बाद छठे स्थल के रूप में कुछ घंटे पूर्व यह भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।
लंदन की Belvedere Road को ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया था क्योंकि सैकड़ों लोग शेल सेंटर की ओर दौड़ रहे थे ताकि आकाश से उतरती कविताओं को लपक सकें क्योंकि हवा का रुख व गति बदल जाने से कविताएँ वाटरलू स्टेशन की ओर उड़ी जा रही थीं। अभी अभी नई लैंडस्केपिंग के बाद जुबली गार्डन पर आयोजित यह पहला समारोह था।
इस समारोह का एकदम ताज़ा वीडियो देखें -
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अपडेट
(27 जून मध्यरात्रि 00.10 बजे )
आज का अद्भुत कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
विश्व में पाँच स्थानों ( Berlin, Warsaw, Guernica, Dubrovnik, Santiago de Chile) के बाद छठे स्थल के रूप में कुछ घंटे पूर्व यह भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।
लंदन की Belvedere Road को ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया था क्योंकि सैकड़ों लोग शेल सेंटर की ओर दौड़ रहे थे ताकि आकाश से उतरती कविताओं को लपक सकें क्योंकि हवा का रुख व गति बदल जाने से कविताएँ वाटरलू स्टेशन की ओर उड़ी जा रही थीं। अभी अभी नई लैंडस्केपिंग के बाद जुबली गार्डन पर आयोजित यह पहला समारोह था।
इस समारोह का एकदम ताज़ा वीडियो देखें -
इस अदभुत कार्यक्रम की सूचना देने का बहुत धन्यबाद. जो भी वहाँ जा सकेगा उसके लिये वो पल अतीव आनंद के होंगे. शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंचमत्कृत हूँ. अद्भुत जानकारियां देतीं हैं आप .
जवाब देंहटाएंआदरणीय कविता जी,
जवाब देंहटाएंइस अनुपम और अनूठी जानकारी के लिए सचमुच आभारी हूँ।
सविनय
अनिल जनविजय
आकाश से तीस मिनट तक काव्यवर्षा का आनन्द!! हम तरसते हैं ऐसे किसी अनूठेपन के लिये। यहाँ तो रचनाकार अपने पैसों से पुस्तक छपवाता है,अपने पैसों से विमोचन करवाता है और निःशुल्क बटवाता है फिर भी उसे गम्भीर पाठक नहीं मिलते।
जवाब देंहटाएंकविता जी! हम लोग बड़ी ही विषम और विचित्र स्थितियों में जीते हैं ...प्रायः कई चेहरों के साथ। साहित्यकारों को लेकर जो पीड़ा आपको है वही मुझे भी है। कई बार मैं साहित्यकार की लेखनी और उसकी ज़िन्दगी में ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ देखता हूँ। यदि वह आदर्श की बात करता है तो हो सकता है कि वह अपने वास्तविक जीवन में पाखण्डी हो। यदि वह भ्रष्टाचार के विरोध में लिखता है तो हो सकता है कि अपने वास्तविक जीवन में वह रिश्वतख़ोर हो। साहित्यकार अब कलम का सिपाही नहीं रह गया है। दूसरी ओर स्वयं साहित्यकार कई प्रकार की क़ूटनीतियों से दूसरे साहित्यकार को नीचा दिखाने का प्रयास करता है । एक अज़ीब सी स्थिति है ..पात्र में बैठे कुछ दादुर सी। मैंने अब कहना शुरू कर दिया है कि साहित्यकार की पहली शर्त है सम्वेदनशील होना पर अब इस सम्वेदनशीलता का स्थान असम्वेदनशीलता और दुष्टता ने ले ली है। कदाचित यही कारण है कि अब कालजयी साहित्य किंचित ही देखने को मिल पाता है।
जवाब देंहटाएंसचमुच अद्भुत.
जवाब देंहटाएंAaj tumney meri tabeeyat sudhaar di, kitney dino se bistar mein thee.
जवाब देंहटाएंkavita warsha dekhakar man prafullit ho uthaa, dhanywad
sasneh
divya
WOW...
जवाब देंहटाएंबहुत ही हर्षदायी सूचना है....कल्पना भी नहीं कर सकते हम तो... ऐसे आयोजनों के बारे में बताती रहा करें.......और हाँ साड़ी में आप बहुत सुन्दर लग रही हैं...वैसे अपनी बहन तो सभी को प्यारी ही लगती होगी....शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंAmazing info. paradise rain for poetry lovers. :)
जवाब देंहटाएंअद्भुत ...समाचार शुक्रिया कविता जी
जवाब देंहटाएंकविता जी ,किन शब्दों में धन्यवाद करूँ, जो दृश्य देखा वो स्वप्नलोक का लग रहा था ।वास्तव में यदि इस तरह का आयोजन है तो वो चेतना का दुर्लभ तीर्थ है ।आपने आज आँखें खोल दीं ।वाकई वे लोग जिंदगी का जश्न मनाना जानते हैं
जवाब देंहटाएंआकाश से काव्य वर्षा अद्भुत सामंजस्य ,काश हम भी भीग पाते
जवाब देंहटाएंकविता , बहुत बहुत धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएँ पढ़ती हूँ तो मन के तार सुर मिलाते हैं . आज भी आपने जो लिखा उससे मै पूर्णतः सहमत हूँ .
कादम्बरी
यह कितना मनोरम दृश्य रहा होगा। मैं कल्पना कर रहा हूँ, कि मैं खुद भी शामिल होने के सपने देख रहा हूँ। खैर कविता के प्रति प्रेम, कविता के जीवन में शामिल अर्थ को लेकर यह मन को खुश करने वाला समाचार मिला है।
जवाब देंहटाएंकविता जी, वास्तव में यह जानकर और वीडियो देखकर बहुत अच्छा लगा. यूरोप में अब भी कला, साहित्य और विज्ञान में भेद नहीं है. सभी विधा के लोग समाज में समादृत हैं. वहॉं पढ़ाई व्यक्तिगत और सामाजिक उत्थान के लिए की जाती है जबकि यहॉं व्यवसाय और व्यक्ति सम्मान के लिए. आज पढ़ाई बच्चों पर किया जाने वाला एक इन्वसेस्टमेंट है. जैसे हमारा इर्द-गिर्द है वही पढ़े-लिखे तथाकथित सभ्य समाज में भी है. फर्क इतना है कि कोई मूढ़ असभ्य है तो कोई शिक्षित असभ्य. संस्कारवान होना एक दुर्लभ प्रजाति का गुण है जिसका आम तौर पर कोई मूल्य नहीं. आपकी पीढ़ा में इस प्रजाति का दर्द है. कामना है कि आपको इच्छित रचनाकर्मी समाज मिले.
जवाब देंहटाएंहोमनिधि शर्मा
वाह, जानकर आनंद आ गया
जवाब देंहटाएंइस अद्भुत आयोजन की जानकारी देने के लिये हार्दिक आभार काश ऐसा यहाँ भी होता।
जवाब देंहटाएंना जाने क्यों ये सब देख कर पढ़कर आँखों में आँसू आ गये ..बेशक खुशी के हैं ...साहित्य और विशेषकर खेमों में बंटा हुआ हिंदी साहित्य क्या कभी ऐसा सौभाग्य पा सकेगा ...
जवाब देंहटाएंना जाने हम विश्व साहित्यिक पटल पर कब दिखाई देंगे !!
शुक्रिया लंदन तुम्हें बहुत सारा प्यार और आने वाले ओलंपिक के लिए ढेरों शुभकामनाएँ !
i can feel and understand ur frustration nd disgust.
जवाब देंहटाएंHamari sochiye jo isi hindi mahol me jeene ko abhishapt he....aur udhar London me kavya varsha!...ek acchi news dene ke liye sadhuvaad.
Gyan Chaurvedi
वाह, एकदम नया व अद्भुत नजारा..
जवाब देंहटाएंकविता, काव्य-वर्षा का विडियो दिखाने का धन्यबाद. अफ़सोस कि हम भीगने ना जा सके.
जवाब देंहटाएंआह! ऐसी घटा का नज़ारा एक जादू से कम नहीं...
जवाब देंहटाएंचिड़ियों सी कवितायें उतरने लगें लोगों के कंधों पर
जवाब देंहटाएंबना लें घौंसले
लोगों के मनों में,
तिनका-तिनका जोंडॆं उन्हें
वह दिन आयेगा
तब विश्व एक पेड़ बन जायेगा॥
kavita ji,
जवाब देंहटाएंyah samachar sab ke saath baantne ke liye bahut-bahut dhanywaad