भारत, चुनाव और नरेन्द्र मोदी : कविता वाचक्नवी
जो लोग ऐसा समझ रहे हैं कि अमुक व्यक्ति शासन में आ जाए तो देश का तुरंत आमूलचूल कायाकल्प हो जाएगा या हो जाना चाहिए वे भ्रम में हैं क्योंकि भले ही कोई भी नेता आ जाए, भारत में सकारात्मक बदलाव नहीं आने वाला। वह इसलिए क्योंकि राजनीति का यह लोकतन्त्र उसे कुछ करने के अधिकार नहीं देता; क्योंकि लोक तो महा अनुशासनहीन, मूढ़, अल्पज्ञ बल्कि कहना चाहिए बड़ी संख्या में देशद्रोही और बिकाऊ तक हो चुका है। और जब तक यह लोक नहीं सुधरता, आत्मानुशासन नहीं आता, दैनंदिन जीवन से भ्रष्टाचरण नहीं जाता तब तक देश का सुधार बड़ी दूर की कौड़ी है और देश को बर्बाद होने से कोई नेता नहीं बचा सकता। इसीलिए मोदी आ भी जाएँ तो यह लोक जब तक स्वतः सुधार की राह पर नहीं चलेगा तब तक देश का भला नहीं होगा क्योंकि उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि फेर दी तो राम राज्य आ जाएगा।
फिर भी मोदी को ही मैं समर्थन देती हूँ क्योंकि उनके न आने से एक परिवार की बपौती बना हुआ है देश, आआपा वाले राष्ट्रविरोधी शक्तियों के साथ हैं और बेहद बचकाने और मूढ़ हैं। वे साल-भर देश नहीं सम्हाल सकते जो कुछ ही दिन में कई-कई नौटंकियाँ कर गए। आज भी वे 2-4 साल के बच्चे की तरह नित नई रूठ मनौव्वल की नौटंकी में लीन हैं। यदि वे आए तो साल भर बाद ही देश पर पुनः चुनाव, अविश्वास प्रस्ताव और खरीद फरोख्त का खेल व नई सरकार की विपत्तियाँ आ जाएँगी। यों भी उनका देशद्रोही पक्ष जग जाहीर हो चुका है।
मोदी के विरोध में देश विदेश की शक्तियाँ जिस तरह एक जुट होकर घबराई विरोध में लगी हैं वह प्रमाणित करता है कि देश पर जिन जिन की नजर है, मोदी उनकी मनमानी के लिए खतरा हैं। यह खतरा बनना भारत की इस समय सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह हमारे सबल होने की दिशा में बड़ा कदम होगा। मोदी का जितना भीषण विरोध होता है अर्थात मोदी का आना उतना देश का सशक्त होना है। इसलिए मैं मोदी के खुले पक्ष में हूँ।
फिर भी मोदी को ही मैं समर्थन देती हूँ क्योंकि उनके न आने से एक परिवार की बपौती बना हुआ है देश, आआपा वाले राष्ट्रविरोधी शक्तियों के साथ हैं और बेहद बचकाने और मूढ़ हैं। वे साल-भर देश नहीं सम्हाल सकते जो कुछ ही दिन में कई-कई नौटंकियाँ कर गए। आज भी वे 2-4 साल के बच्चे की तरह नित नई रूठ मनौव्वल की नौटंकी में लीन हैं। यदि वे आए तो साल भर बाद ही देश पर पुनः चुनाव, अविश्वास प्रस्ताव और खरीद फरोख्त का खेल व नई सरकार की विपत्तियाँ आ जाएँगी। यों भी उनका देशद्रोही पक्ष जग जाहीर हो चुका है।
मोदी के विरोध में देश विदेश की शक्तियाँ जिस तरह एक जुट होकर घबराई विरोध में लगी हैं वह प्रमाणित करता है कि देश पर जिन जिन की नजर है, मोदी उनकी मनमानी के लिए खतरा हैं। यह खतरा बनना भारत की इस समय सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह हमारे सबल होने की दिशा में बड़ा कदम होगा। मोदी का जितना भीषण विरोध होता है अर्थात मोदी का आना उतना देश का सशक्त होना है। इसलिए मैं मोदी के खुले पक्ष में हूँ।
रही कॉंग्रेस की बात तो कॉंग्रेस देश को कभी भी उबरने नहीं देना चाहती क्योंकि देश का स्वाभिमान टूटना, लोगों का अशिक्षित व स्वार्थी रहना, परस्पर घृणा करना, धर्मांध बने रहना, अनुशासनहीन होना आदि सब नकारात्मक चीजें कॉंग्रेस के मंतव्यों के पक्ष में जाती हैं। देश के लोग जितने अधिक बिना रीढ़ के हों, जितने अधिक मनासिक गुलाम हों, कॉंग्रेस के लिए उतना अच्छा है। क्योंकि वे कॉंग्रेस को खुली लूट से रोकने की हिमाकत नहीं कर सकते, देश को बेचने से रोकने के लिए आवाज नहीं उठा सकते, वे अपनी भुखमरी व अशिक्षा से ही उबर नहीं सकते तो कॉंग्रेस का तो इसी में हित है।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंदेश को सम्मान का भाव देने वाला इस चुनाव में सम्मानित हो।
जवाब देंहटाएंआपसे पूर्ण सहमत . लोकतंत्र तभी सफल और कल्याणकारी हो सकता है जब लोक सचेत और सविवेक हो ,साक्षर होना तो बहुत ज़रूरी है .
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति, क्या मुझे इसे अपने न्यूज पोर्टल www.ajmernama.com के लिए भेज सकती हैं- tejwanig@gmail.com
जवाब देंहटाएंkavitaji ki dharanaa bikul sahi hai. Koi bhi desh mein tabtak koi sudhar nahi laasakta jab tak yehaan ki manasiktaa nahi badalti.
जवाब देंहटाएंसीधी और सच्ची बात।
जवाब देंहटाएंअब तो हर हाल में सूरत बदलनी चाहिए।