पंजाब चुनाव परिणाम : कॉंग्रेस vs खालिस्तान+केजरीवाल की AAP : कविता वाचक्नवी
पंजाब में सत्ता परिवर्तन का समय है, स्वाभाविक है लोग बदलाव चाहते हैं (हर कोई गुजरात व नरेन्द्र मोदी नहीं हो सकता) इसलिए सत्ता किसी अन्य पार्टी के हाथ दी जाएगी।अच्छा होगा कि ऐसी स्थिति में भले ही कॉंग्रेस आ जाए परन्तु किसी भी स्थिति में केजरीवाल व उसकी आआपा नहीं आने चाहिए। केजरीवाल कैनडा से संचालित खालिस्तानियों के पैसे और इशारे से संचालित है। अगर वह आया तो पंजाब में वही 80' के दशक वाला दौर फिर से आ जाएगा; क्योंकि खालिस्तान-समर्थक तो पूरी तरह से पाकिस्तान की कठपुतलियाँ हैं। इसलिए कॉंग्रेस और केजरी में जनता के लिए केजरीवाल से बचाव का यही उपाय है कि केजरी किसी भी स्थिति में वहाँ नहीं आना चाहिए। वह पंजाब के लिए भयंकर खतरा है, इसलिए देश के लिए भी खतरा ही हुआ।
- अकाली हारेंगे (क्योंकि वे सत्ता में हैं; और सत्ता बदलनी ही बदलनी है इस बार)
- कॉंग्रेस यद्यपि अन्तिम साँसें ले रही है किन्तु पंजाब में उसके जीतने की सम्भावना प्रबल है। इसलिए नहीं कि लोगों ने उसे माफ़ कर दिया या लोग उसके घोटाले और आतंक को पालने की कूटनीति भूल गए, या उसका परिवारवादी एजेण्डा भूल गए, या उसका अयोग्य नेतृत्व भूल गए, न न, ऐसा कुछ नहीं। यह उसका कमाल नहीं अपितु केवल इसलिए क्योंकि उसे 'सत्ता परिवर्तन के अवसर' का लाभ मिलेगा। जनता के पास कोईअन्य विकल्प ही नहीं।
- भाजपा को 'सत्ता परिवर्तन के अवसर' की हानि उठानी पड़ेगी
- पंजाब वैसे भी पूरी तरह अपनी अगली नस्ल बर्बाद कर चुका है, अब न वहाँ शौर्य बचा है, न सम्पदा, न बलिदानभाव, न ऊँचे बहादुर गबरु स्वस्थ युवा पीढ़ी के प्रतिनिधि और न कुछ और। यूरिया पीढ़ी के बाद अब अधिकांशतः शराब और ड्रग्स पीढ़ी है। अधिकाँश जनता की तरह जिसे न देश से मतलब है, न देशहित से, न भविष्य से लेना देना है - न अतीत से। मुफ़्तखोरी तथा स्वार्थ का झुनझुना उनके लिए संसार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। जिसने यह झुनझुना अधिक बेच लिया है, उसी को हार पहनने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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