ऐसे प्राण दिए जाते हैं ..... : कविता वाचक्नवी
खोजी पत्रकारिता में निडर होकर रिपोर्ट कैसे बनाई जाती है इसका उदाहरण देने के लिए बेघर लोगों के जीवन पर फिल्म बनाने के उद्देश्य से काम करते हुए 27 वर्ष के युवक ने अपने प्राण दे दिए।
खोजी पत्रकारिता में निडर होकर रिपोर्ट कैसे बनाई जाती है इसका उदाहरण देने के लिए बेघर लोगों के जीवन पर फिल्म बनाने के उद्देश्य से काम करते हुए 27 वर्ष के युवक ने अपने प्राण दे दिए।
हाड़ कम्पाती सर्दी में बेघर लोगों का जीवन कितना त्रासद, दूभर व यातना-भरा होता है, इस पर एक डॉक्यूमेंटरी बनाने के उद्देश्य से Lee Halpin ने सात दिन तक पूरी तरह उन्हीं का जीवन जीने का निर्णय किया और रविवार से 'न्यू कैसल' (ब्रिटेन का एक नगर) में उन्हीं की परिस्थितियों में बिना किसी सुविधा के रहना, खाना व सोना शुरू कर दिया।
इस कार्य में लगने से पूर्व उसने रविवार को एक वीडियो बनाया और उसमें कहा कि सात दिन तक वह समाज के बेघरबार लोगों वाला जीवन जी कर उन वर्ग के अधिकाधिक लोगों तक पहुँचना चाहता है । उसका मानना था कि उसकी यह डॉक्यूमेंटरी समाज के हृदय तक पहुँचने के उसके उद्देश्य को साकार कर सकेगी।
बेघर व निर्धन लोगों की यातना व जीवन के प्रति समाज में जागृति लाने के लिए शुरू किए गए अपने अभियान में उसने अपना जीवन दे दिया। निर्धन व बेघर लोगों की यातनाओं को समझने के लिए उनके जीवन को स्वयं जी कर देखने की भावना से प्रेरित होकर किए गए इस कार्य में अपने जीवन की आहुति दे देने वाले इस युवक के लिए मन पीड़ा व आदर से भर उठा है। बताया जा रहा है कि इस भयंकर शीत व हिमपात में खुले में सोने के कारण उसे Hypothermia ने जकड़ लिया और उसके प्राण ले लिए।
भारतीय पत्रकारिता में पूरी तरह पसर गई व्यावसायिकता, क्रूरता, स्वार्थ व मूल्यहीनता के इस काल में ऐसे समाचार मुझ जैसे व्यक्ति को रुला रुला जाते हैं।
रविवार 31 मार्च को बनाए अपने वीडियो में इस डॉक्यूमेंटरी योजना की जानकारी देने वाले Lee Halpin के वीडियो को यहाँ देखा जा सकता है -
ऐसे पत्रकार विरले होते हैं जो करना चाहते हैं ,उसे पहले जीना चाहते हैं ,उसमें चाहे अपनी आहुति ही क्यों न देनी पड़े .....
जवाब देंहटाएंनमन !
दुसरो के दर्द को समझने की ,और उस दर्द को झेल कर ,महसूस कर आम लोगो तक पहचाने वाले इस साहसी युवक को विनम्र
जवाब देंहटाएंश्रधांजलि ।
27 वर्षिय 'ली' जी की आत्मा को ईश्वर शांति दें। ऐसा जज्बा और ईमानदारी भारतीय पत्रकारिता में आने की अपेक्षा करें। विवरण के अंत में कविता जी आपने भारतीय मिडिया के लिए जौ प्रश्न निर्माण किया है वह सच ही है। आल कल पत्रकारिता को हथियार बना कर चंद दिनों में अमीर होने के सपने देखे जाते है। पैसे कमाना कोई गलत बात है नहीं पर बेईमानी और ईमानदारी से इसमें जरूर फर्क है। भारतीय पत्रकारिता राजनेताओं और पूंजिपतियों की और झूकती है यह वास्तव है।... ली के लिए सलाम।
जवाब देंहटाएंdrvtshinde.blogspot.com
कविता जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही हृदयस्पर्शी घटना है। इतना सुन्दर जीवन एक ईमानदार कोशिश की आहुति चढ़ गया । भारत के पत्रकारों के साथ ऐसे लोगों की तुलना करना ही बेमानी है ।
दिवंगत को विनम्र श्रद्धाञ्जलि !
my regretfull hoage to him.
जवाब देंहटाएंपराई पीर जानने के लिये आत्माहुति..विरला उदाहरण, ईश्वर उन्हें शान्ति प्रदान करे।
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