देह पीड़ा से भले लहरी नहीं ....... : कविता वाचक्नवी
वर्ष 2003 के आसपास लिखी अपनी एक ग़ज़ल को अपने ही स्वर में 'डेनमार्क' के रेडियो सबरंग के लिए वर्ष 2008 में चाँद शुक्ला जी के आदेश व माँग पर सस्वर रेकॉर्ड करवाया था।
यों तो यह गजल उनकी साईट पर मेरी कई अन्य कविताओं के काव्यपाठ सहित वहाँ गत 4-5 वर्ष से उपलब्ध है और वागर्थ व हिन्दी-भारत आदि पर साईडबार में भी; किन्तु लिखित पाठ के साथ पहली बार यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ।
सस्वर पाठ इस लिंक को क्लिक कर सुना जा सकता है -
देह पीड़ा से .....
- कविता वाचक्नवी
देह पीड़ा से भले लहरी नहीं
नाग से तो प्रीत कम ज़हरी नहीं
राज-मुद्रा ने तपोवन को छला
जबकि मर्यादा रही प्रहरी नहीं
मैं उठाए बाँह बटिया पर पड़ी
जिंदगी मेरे लिए ठहरी नहीं
डूब पाती मैं भला कैसे यहाँ
झील तो दिल से अधिक गहरी नहीं
गाँव, घर, द्वारे इसे प्यारे लगें
आज भी 'कविता' हुई शहरी नहीं
बहुत अच्छा हुआ ..फ़िर सुन लिया .. ;-)धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...साझा करने के लिए धन्यवाद आपका
जवाब देंहटाएंपुण्य का काम किया आपने बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंआप की ग़ज़ल पसन्द आई ।ग़ज़ल की शर्तों पर यह ग़ज़ल खरी उतरती है । आप का सस्वर
जवाब देंहटाएंपाठ नहीं सुन पाया क्योंकि मेरे पास प्लेयर नहीं है । लेकिन पढ़ कर आनन्द मिला ।
बहुत सुन्दर गजल है | आज पता चला कि आप कितना मीठा गाती हैं | :)
जवाब देंहटाएंजिंदगी मेरे लिये ठहरी नहीं.. वाह |
Thanks for posting it here , otherwise i wud never hve got d opportunity to read it. Heart touching piece . Congrats.
जवाब देंहटाएंVery good!
जवाब देंहटाएंवाह कविता जी ,
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना !
बधाई जन्मदिन की !
हाँ ग़ज़ल की शर्तों पर सही ठहरती है --परन्तु सिर्फ अंतिम शे'र से अन्यथा सभी शे'र अर्थहीन हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब . सुन्दर प्रस्तुति .आभार आपका
जवाब देंहटाएंhttp://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
सार्थक।
जवाब देंहटाएंकविता जी, बस यही कहूँगा कि आपकी साहित्य यात्रा चलती रहे और सह_यात्री बढ़ते रहें।
जवाब देंहटाएंरोहित 'व्योम '
e mail: rohitkgs@gmail.com
rohitkgs@india.com
लंदन से वरिष्ठ कथाकार महेंद्र दवेसर जी का ईमेल से भेजा संदेश -
जवाब देंहटाएंकविता जी,
आपकी ग़ज़ल तो सुन्दर है ही, आपके स्वर ने उसे और भी सुन्दर कर दिया है।
धन्यवाद।
शुभकामनाओं सहित,
महेन्द्र
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
कविता जी आपकी सारी रचनाएँ उत्कृष्ट हैं ,आपकी रचना में आपका अनुभव झलकता है |
जवाब देंहटाएंhttp://srishtiekkalpana.blogspot.in