भारत-प्रवास में दूसरी बार ५ फरवरी को दिल्ली पहुँची| मेरे लिए विश्वपुस्तक मेले में जाने का वही एक दिन हाथ में था| आगामी २ दिनों तक `अक्षरम', `साहित्य अकादमी' व `भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद्' द्वारा आयोजित ८ वें हिन्दी उत्सव में उपस्थिति अपरिहार्य थी|
रमणिका गुप्ता जी के आवास पर ही मैं ठहरी थी|
प्रातः लगभग ११ बजे रमणिका जी के डिफेन्स कालोनी स्थित आवास पर पहुँची और दोपहर में तुरंत ही तैयार हो कर पुस्तक मेले के लिए चल दी| विस्तार से कभी अलग से लिखूँगी| अभी तो केवल इतना ही कि वहाँ बातों बातों में आलोचक प्रेमचंद सहजवाल जी ने अपने मोबाईल से हमारी बातचीत रेकोर्ड कर ली; जिस उन्होंने यहाँ व यहाँ लगाने के बाद ईमेल लिखा व सूचित किया| उनका यह बड़प्पन मन पर अमिट छाप छोड़ गया| सहजवाल जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए वे अनौपचारिक से २ वीडियो सँजो रही हूँ -
कैसे भूल सकता हूँ वो दिन,मैम...
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