चेरी के २ पेड़ : माँ की स्मृति में
आज २४ मार्च २०१० ! .....
आज २४ मार्च २०१० ! .....
माँ को परलोकगामी हुए ४१ वर्ष पूरे हो गए आज।
प्रातः उनकी स्मृति में बाहर लॉन में मैंने व मेरी बेटी ने मिल कर दो चेरी के पेड़ लगाए ; एक गुलाबी फूलों का और एक श्वेत पुष्पों वाला ........क्योंकि माँ का नाम ही था पुष्पा / सुमनलता !
इन दो नामों की भी बड़ी रोचक कहानी है -
ससुराल में जब ब्याह कर माँ ( पुष्पा )आईं तो एकमात्र जेठानी का नाम भी "पुष्पा" ही था, सो पति ( मेरे पिता जी ) व ताऊ जी को बड़ी दुविधा हुआ करती थी कि कौन किस को पुकार रहा है, पता ही न चलता था| तब पिताजी ने नाम लेने के इस असमंजस की युक्ति यह निकाली कि समानार्थी नाम रख दिया - "सुमनलता" |
जिन्हें पहले पुष्पा कह कर बुलाया जाता था मायके में, वे अब ससुराल में सुमन हो गईं |
सो, उन सुमन -हृदया माँ को श्रद्धासुमन व स्मृति में ये चेरी के सुमनों से लद जाने वाले सुमन-तरु .....
आपकी ये श्रृद्धांजलि पढ़ मन श्रृद्धा से भर गया....
जवाब देंहटाएंमेरा मन भी श्रद्धा से भर गया. आपकी माँ के लिये भी और आपके लिये भी.
जवाब देंहटाएंवाह.......
जवाब देंहटाएं.................
विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
माँ जी के दोनों नाम सुन्दर हैं -
जवाब देंहटाएंमाता पिता को याद कर आपने
व बिटिया ने जो २ पेड़ लगाए हैं
वे सदा फूले फलें और यादें भी हरी भरी रहें
स स्नेह,
लावण्या
माता जी की पुण्य स्मृति को नमन!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, साथियो!
जवाब देंहटाएंमेरी सम्वेदना पर आपका स्नेह बड़ा प्यारा लगा।
sashraddha naman!!
जवाब देंहटाएंमन संवेद जागृत हुए।
जवाब देंहटाएंकितनी सरलता से आप कह जाती हैं गूढ़ बातें ,आपकी कवितायेँ बहुत ही अच्छी हैं ..
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