मंगलवार, 4 नवंबर 2014

लन्दन में भारतीय इतिहास का यह पृष्ठ



गत दिनों एक दूर के सम्बन्धी के देहावसान पर लन्दन के गोल्डर्स ग्रीन शवदाह गृह (क्रेमेटोरियम) जाना हुआ। इस के विशाल प्रार्थना सभाकक्ष की मुख्य दीवार में लगभग 15 फीट की ऊँचाई पर सोने की तारों और मीनाकारी से सजी तीन संगमरमर की शिलाएँ गड़ी हुई हैं, जिन्हें अपनी खोजबीन वाली आदत के चलते ध्यान से पढ़ा तो पता चला कि एक ही परिवार के तीन व्यक्तियों (पिता व दो पुत्र) के निधन पर उनकी सूचना देने के लिए लगाई गई हैं और वे तीनों भारतीय थे। मुख्य शिला 21 अगस्त 1911 को दिवंगत हुए महाराजा नृपेन्द्र नारायण भूप बहादुर की स्मृति में है और उसकी एक ओर लगी छोटी शिला उनके बड़े बेटे महाराजा राज राजेन्द्र नारायण भूप बहादुर (11 अप्रैल 1882 - 1 सितम्बर 1913 ) की स्मृति में तथा दूसरी ओर लगी छोटी शिला नृपेन्द्र नारायण जी के द्वितीय पुत्र महाराजा जितेन्द्र नारायण भूप बहादुर (20 दिसम्बर 1886 - 20 दिसम्बर 1922) की। इनका एक चित्र भी वहाँ लगा है। 

अन्त्येष्टि व श्रद्धांजलि सभा में चित्र लेने का अवसर न होते हुए भी निकलते-निकलते भारतीय इतिहास से जुड़ी इन शिलाओं के जो चित्र मैंने अपने मोबाईल कैमरा से लिए वे नीचे देखे जा सकते हैं - 

बड़े आकार में देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें। 
सभी चित्रों का स्वत्वाधिकार © सुरक्षित है। 









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