गुरुवार, 27 नवंबर 2014

जसोदाबेन का पत्नीत्व

जसोदाबेन का पत्नीत्व  :  कविता वाचक्नवी




मैं स्त्रियों व उनके अधिकारों की समर्थक हूँ किन्तु स्त्रियों को आगे कर उनके नाम पर अपना मंतव्य सीधा करने वालों व उनकी महत्वाकांक्षाओं की नहीं और उन स्त्रियों की भी नहीं जो ऐसा करती या माध्यम बनती हैं।
जसोदाबेन लगभग 50 बरस से अलग रह रही हैं और वे कोई अनपढ़ या दूसरों पर निर्भर हो कर नहीं बल्कि पढ़ी लिखी हैं, जॉब करते हुए। इन पचास बरसों में उन्हें अपने पति से अधिकार लेने और उनके साथ बसने का ख्याल और अदालत को बीच में डाल कर अपने अधिकारों की जानकारी लेने का ख्याल नहीं आया ? इतनी लम्बी अवधि तक उनके पति गुजरात के मुख्यमन्त्री थे तब भी उनकी महत्वाकांक्षाएँ या अधिकारभावना या जानकारी प्राप्त करने की कभी सुध नहीं जागी। अब पूर्व पति के प्रधानमन्त्री बनते ही अधिकारों की याद आ गई, पति के साथ रहने की इच्छा का सार्वजनिक उद्घोष और प्रचार होने लगा। अब वे ऐसे व्यवहार कर रही हैं जैसे वे एकदम मूढ़ और अपढ़ हैं और यह भी जानतीं कि मीडिया को क्या कहना है, क्या नहीं कहना या क्या करना है क्या नहीं करना।

50 बरस के बाद अब पत्नी के अधिकारों और साथ बसने की याद आ गयी और समाज व् मीडिया के सामने एकदम वंचित और पीड़ित होने का प्रदर्शन होने लगा जबकि अध्यापिका रही पढ़ी लिखी हैं और आत्मनिर्भर रही हैं।

अब पति प्रधानमन्त्री बन गए तो सारे अधिकारों की याद आ गयी। इसे ही कहते हैं कि जब व्यक्ति शिखर पर पहुँच जाता है तो सबको अपने युगों से ख़त्म हुए रिश्ते याद आने लगते हैं।


जसोदाबेन के इस व्यवहार के पीछे उनके मायके परिवार की लालसाओं की बड़ी भूमिका प्रतीत हो रही है। वे जसोदाबेन को आगे कर अपने इरादे पूरे करने, प्रधानमन्त्री के रिश्तेदार होने का लाभ लालच पूरा करना चाहते हैं, यही साफ़ दिखाई देता है और सम्भव है कि उस परिवार को ऐसा करने के लिए उकसाने और अपनी बहन जसोदाबेन पर दबाव बनाने के लिए उकसाया जा रहा हो। मीडिया को दबी कुचली शोषित स्त्रियों के अधिकारों की चिंता से अधिक आत्मनिर्भर और लालसाओं वाले रिश्तेदारों के ईशारों व चर्चा में आने के लिए 50 साल बाद पत्नी के अधिकारों का ढिंढोरा पीटना शुरु करने वाली एक आत्मनिर्भर रही स्त्री के अधिकारों की स्वार्थी चिन्ता ज्यादा है।

 आज अब यकायक क्या बदल गया ? जो लोग इस अवसर पर त्याग को मुद्दा बना कर सहानुभूति का खेल खेल रहे हैं वे जान लें कि यहाँ मुद्दा त्याग का नहीं है। त्याग क्या मोदी जी ने नहीं किया ? क्या मोदी जी ने पुनर्विवाह किया ? फिर इस तरह के मुद्दे उठाने का क्या मतलब है त्याग आदि के ? या जिन पर पहले बात हो चुकी है, पति पत्नी सम्बन्धों आदि के। उन पर बहुत अधिक बहुत पहले लिख चुकी हूँ। उनकी चर्चा करने के इच्छुक लोग यहाँ अपना व मेरा समाय व ऊर्जा बर्बाद न करें अगर उन्होने वे सब चीजें यहाँ पढ़ी या समझी नहीं हैं, जब लिखी गई थीं।

यदि असुविधा के अतिरिक्त कोई मुद्दा ही नहीं है तो मीडिया के सामने अन्य चीजों पर बयान देने से बचा तो जा सकता है, किसी ने हलक में हाथ डाल कर नहीं कहा कि कैमरे के आगे दूसरे मुद्दों पर बोलो। यह सरासर सहानुभूति के नाम पर  द्रवित हो उठने वाली जनता से सहानुभूति बटोरने का प्रयास है।


रही अलग रहने के कारण उनसे सहानुभूति करने वालों की बात, तो उन लोगों को पता होना चाहिए कि इस देश दुनिया में प्रतिदिन कई लाख पति पत्नी अलग होते हैं, तलाक लेते हैं, उनकी नहीं बनती। यदि आप लोगों को सहानुभूति और अन्याय दिखाई देता है तो जाकर उनके लिए लड़िए। जिस दुनिया में तीन बार तलाक बोलकर छोड़ दिया जाता है, उनके लिए लड़िए और संसार में में सभी जगह तलाक या सेपेरेशन बंद करवाइए। जिस पति या पत्नी को अपने साथी में रुचि ही न हो उसके साथ जीवन बिताना उस से अलग जीवन बिताने से कई सौ गुना बुरा है। पति पत्नी किसी कारण से अलग हो गए, इसमें कुछ भी अनूठा नहीं है, न संसार में पहली बार हुआ है। मैं कई माह पूर्व भी विस्तार से लिख चुकी हूँ कि इसका अधिकार जोड़े को है कि वह साथ रहना चाहता है या नहीं। हमारे यहाँ महादेवी वर्मा स्वयं इसका उदाहरण हैं कि वे अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती थीं अतः उन्होने उस विवाह को नहीं माना और अलग रहीं। न उन्होने पुनर्विवाह किया न कोई अपराध। इसी तरह मोदी जी ने न पुनर्विवाह किया और न ही कुछ और। मोदी जी ने भी यह सारा जीवन भीषण संकटों में काटा है, दर दर भटके हैं। इसलिए आज वे प्रधानमंत्री बन गए तो आप लोगों को मौका मिल गया उनके जीवन के नियामक बन फैसले सुनाने का ?


असल में राजनैतिक शत्रुओं को और कोई मौका नहीं मिल रहा लांछन लगाने का तो यही एक मुद्दा सही। और ये सब वे लोग हैं जिन्होंने व्यभिचारी मंत्रियों और नेताओं की घरों पर सड़ रही पत्नियों के दु:खो और पीड़ाओं पर कभी कोई घड़ियाली आँसू तक भी नहीं बहाया । और इनमें से अधिकांश जिस वर्ग के हैं उस वर्ग के लोगों की बीवियाँ गाँवों में इनके बच्चे पालती सड़ती रहती हैं और ये दूसरी औरतों के साथ खुलेआम पत्नी की तरह शहरों में रहते गुलछर्रे उड़ाते हैं, यह मटुकनाथ को जायज सिद्ध करने वाली जमात है, ये हिन्दी साहित्य के उस वर्ग के प्रतिनिधि हैं, जहाँ प्रत्येक विवाहित पत्रकार, अध्यापक, संपादक, लेखक अपनी छात्राओं, पाठिकाओं व प्रशंसिकाओं के शोषण और प्रेम में सरेआम संलिप्त होता है। इसलिए इनका चरित्र हम जानते हैं, उस पर हमारा मुँह न ही खुलवाया जाए तो अपनी इज्जत बचाए रख सकते हैं ये ।


स्त्रियॉं के साथ सहानुभूति रखने वाले ऐसे स्त्रीशोषकों को उन स्त्रियों के शोषण की याद नहीं आती, जहाँ वास्तव में शोषण हुआ है। दिग्विजय से लेकर एक एक आदमी नंगा है और स्त्री शोषण में संलिप्त। जसोदाबेन के कितने हमदर्दों ने जाकर दिग्गी सहित एक एक शोषक से शोषित होने वाली किसी महिला के पक्ष में आवाज़ उठाई ?


कमलेश जी, भारत की मूल समस्या ही यही है कि वहाँ कोई व्यक्ति अपनी तरफ से किसी चीज में कुछ भी सार्थक योगदान नहीं देता न देना चाहता है, उल्टे बिगाड़ने में सब एक से बढ़कर एक आगे रहते हैं। भारत की बरबादी का मूल कारण ही यही है कि योगदान की बजाय सबको केवल शिकायतें शिकायतें शिकायतें ही करना आता है। किसी को कुछ काम धंधा नहीं है सिवाय दुनिया जहान से दुनिया जहान भर की शिकायतें करने के। केवल मुंह चलाना और यह बताना की फलाने ने ऐसा गलत किया ठिकाने ने यह क्यों किया, यह ऐसा होना चाहिए यह वैसा होना चाहिए आदि अनादि। जो व्यक्ति स्वयं कुछ सार्थक योगदान नहीं देता उसकी शिकायतें सबसे ज्यादा .... वाह कमाल है !

एक मनुष्य होने के नाते जसोदाबेन के प्रति पूरा सम्मान है और उनके मौलिक अधिकारों के प्रति भी। वे एक साधारण स्त्री हैं और शांति से जी रही थीं, किन्तु बदमाश मीडिया और विरोधी पार्टियों के हाथ एक अस्त्र लग गया है और इस तरह वे उन्हें इस्तेमाल करते हुए उनकी शांति भंग कर रहे हैं। एक साधारण सामान्य ढंग से जीने वाली स्त्री को शांति से जीने दे लेना चाहिए। भगवान के लिए उन्हें शांति से जीने दो।

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 जिन्हें पति पत्नी सम्बन्धों के चलते सहानुभूति हैं, वे डॉ दीप्ति की 24 मई की निम्नलिखित स्टेटस व वहाँ चली परिचर्चा को ध्यान से पढ़ें। यहाँ पर अपनी टिप्पणियों में मैंने कुतर्कों के उत्तर दे ही दिए हैं।
पहले दीप्ति जी की यह प्रतिक्रिया व स्टेटस -

डॉ. दीप्ति भारद्वाज says
May 24 ·मोदी जी , ये कैसी महत्वाकांक्षा -------
क्यों हर बार रामराज्य की स्थापना के लिए सीता की ही अग्नि परीक्षा होती है ? क्यो सीता ही वनवास भोगे ? क्यों पुरुष की अतिशय महत्वाकांक्षा स्त्री के अस्तित्व को नकारती है ? क्यों हर बार स्त्री का ही बलिदान क्यों ? कृष्ण को द्वारिका बसाने के लिए रुक्मिणी को साथ लेना पड़ा था।
मोदी जी ये जीत तब तक अधूरी है जब तक आप अपनी अर्धागिनी को उचित सम्मान नही देते ? मोदी जी हर माँ आप जैसे पुत्र की कामना करेगी पर हर स्त्री आपसे डरेगी। आपने भारत के लिये जो साधना की वो तब तक बेमानी है जब तक उस साधना की मौन साधिका जसोदाबेन को उनका मान न मिले। आपने जो किया वह दुनिया ने देखा लेकिन. उसके लिए किसी स्त्री ने अपने सपनों और आकाँक्षाओ की बलि दी। भरी जवानी में खण्डित दाम्पत्य को जिया। फिर भी आपके लिए मंगलकामनाए कीं ।
क्या माँ की तरह ही उस मौन साधिका को प्रधानमंत्री बने पति से मिलना नही चाहिये ।
मोदी जी आपकी ये जीत स्त्री की एकान्तिक साधना के सहयोग से सम्भव हो सकी । कितनी पीड़ा झेली है जसोदाबेन ने जब लोग उन्हें दयाभाव से देखते रहे होंगे । कितना कष्ट रहा होगा उन्हें जब सब होते हुए भी कुछ नही के दंश को पीया होगा।
मोदी जी कभी बचपन में ये भजन सुना था आज आपको सुनाती हूँ -
कान्हा रे तू राधा बन जा भूल पुरुष का मान
तब होगा तुझको राधा की पीड़ा का अनुमान ।
मैं तो पूरी खुशी नही मना पा रही ।

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  • Malik Rajkumar nic complaint
  • Mahendra Tiwari "बिलकुल ...."

    "सहमत होना ही पड़ेगा आपकी बात से ...
  • Subodh Agrawal mujhe lagta hai, mujhe aapse milna hi padega.
  • Sushil Mishra डॉ. दीप्ति जी आपकी बात से शायद ही कोई असहमत हो....लेकिन शायद इस समय अगर मोदी जी ये पारिवारिक मामलों में उलझ गए तो संभवतः उनका और जशोदाबेन दोनों का इतने वर्षों का तप देश के किसी काम न आ सकेगा....इस देश की तुच्छ और स्वार्थी राजनीति को इस नितान्त व्यक्तिगत मामले में राजनीति की असीम संभावनाएं दिखने लगेंगी और जिस संकल्प और स्वप्न को लेकर इस देश की जनता ने इतना अदम्य समर्थन दिया है वह कही खो जाने की भी संभावना बन जायेगी. इस विषय में बिलकुल सटीक गजेन्द्र सोलंकी जी की पंक्तियाँ याद आ रही हैं............................... दिलों के बीच दूरी से बड़ी दूरी नहीं होती, गरीबी से बड़ी कोई भी मज़बूरी नहीं होती. यहाँ कोई सिकंदर हो या अफलातून हो यारों ,तमन्ना हर किसी की हर समय पूरी नहीं होती.
  • DrArvind Mishra Delicate issue indeed!
  • Pramendra Maheshwari ये विचारों का झंझावात कहीं किसी और जगह की पीड़ा तो नहीं...प्रेम तो अद्र्श्य ही है निरंतर निस्वार्थ बिना किसी चाह के...न भौतिक न दैहिक 
    और असंभव सी मंजिल पाने के लिए सबसे पहले परिवार की बेड़ियाँ ही तो काटनी पड़ी हैं वरना पति पत्नी परिवार और समाज ने तो असंख्य संभावनाओ वालों को सिर्फ धरातल पर ही समेट लिया...घर गृहस्थी के और त्रिया चरित्र के लग लपेट में न जाने कितने जीवन शून्य पर ही सिमट गए...चिंता न करो जिस मोदी ने पूरे समाज का ध्यान रखा वो निश्चित ही अपनी तपस्या की इस मौन साधिका का सम्मान अवश्य करेंगे...
  • Girish Pandey Misra g ,,,आपकी सौ फिसदी सदी सही है,,,,
  • DrKavita Vachaknavee जब दो लोग किसी रिश्ते से अलग हो जाते हैं, इच्छा से, अनिच्छा से, जबर्दस्ती, कागजी तलाक लेकर या मन से अलग होकर तो संसार के दूसरों लोगों को उन्हें जबर्दस्ती रिश्ते में सिद्ध करने का अधिकार नहीं होता है। संविधान के अनुसार यदि तीन वर्ष ( अवधि घट-बढ़ हो सकती है) तक पति पत्नी के संबंध न रहें तो उसे भी कानूनी दृष्टि से तलाक माना जाता है। तलाक लेने का अधिकार तब तक सबका है जब तक संसार में बहस चलाकर पूरे विश्व में इसे प्रतिबंधित न करवा दिया जाए। लोग तो फोन पर तीन बार तलाक ! तलाक! तलाक! कह कर तलाक ले लेते हैं। उन सब के तलाक लेने के अधिकारों को जिस दिन विश्व की सहमति से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा उस दिन ही मोदी या किसी भी अन्य का अपनी पत्नी या पति से अलग होना जैसे विषय चर्चा का विषय बने तो अच्छा है। मैं बहुत पहले इस विषय पर लंबी परिचर्चा कर चुकी हूँ फेसबुक पर, इसलिए उसे दोहराने की आवश्यकता नहीं समझती। जिन पुरुषों की स्त्री में रुचि न हो (किसी भी कारण, भले ही इसलिए कि वे दूसरी स्त्री में रुचि रखते हैं, भले ही इसलिए कि वे समलैंगिक हैं, भले ही इसलिए कि वे वीतराग हैं या भले ही इसलिए कि वे नपुंसक आदि हैं) इनमें से किसी भी प्रकार के पुरुष के साथ स्त्री को बांधना स्त्री का जीवन नर्क करना है, वह न ब्याहता होती है, न पति का प्रेम पाती है, न मुक्त और स्वतंत्र। मैं ऐसी हजारों नहीं उस से अधिक स्त्रियों से व्यक्तिगत परिचित हूँ और कई लोमहर्षक किस्से सुन-देख चुकी हूँ। कई यहाँ विदेश में भी। और आपको शायद पता नहीं कि इनका बालविवाह हुआ था, परिवार वालों ने जबर्दस्ती किया था क्योंकि ये सन्यासी होना चाहते थे और घर छोड़ कर जा रहे थे। 50 वर्ष पहले की दुनिया में 17 साल और 15 साल के लोग अपने माता पिता और बड़ों के प्रति विद्रोह नहीं कर सकते थे। पर विवाह भी इन्हें बांध न सका और इसलिए ये जसोदाबेन को पढ़ने व अपने जीवन से इन्हें अलग करने की बात कहकर सहमति से अलग हो गए थे। उसके बाद मोदी जी ने सन्यास ले लिया था। आपने शायद बेल्लूर मठ में इन्हें सन्यासी के भेस में रहते हुए वाले चित्र नहीं देखे हैं। और भारत में भी यह कोई नई बात नहीं है। यह अधिकार महिला को भी रहा है कि वह यदि पुरुष में अनुरक्त नहीं तो अलग हो जाए। दूर क्यों जाना, महादेवी वर्मा इसका हमारे सामने का उदाहरण हैं। इसलिए इस तरह की बातें करना लोगों को चटखारे लेने का अवसर देना है। फेसबुक पर घूमने वाले लाखों करोड़ों में से कोई दो चार ही होंगे जो विषयवासना से विरक्ति का अर्थ भी समझते हों। उनके लिए विवाह भी भोग का ही माध्यम है, कामक्रीड़ा के लिए रचा गया खेल। ऐसे लोगों के बीच दो सम्मानित व्यक्तियों के व्यक्तिगत सम्बन्धों पर चर्चा करना सम्मानजनक नहीं। कोई आज का तलाक़शुदा आधुनिक सामान्य दंपत्ति भी हमें या आपको इसकी अनुमति नहीं देगा कि उनके पूर्व पति या उनकी पूर्व पत्नी को टार्गेट कर जबर्दस्ती एकदूसरे के साथ जोड़ा जाए। ऐसा कर हम जसोदाबेन के एकाकी जीवन का अपमान कर रहे हैं। क्या दुनिया के लोगों में तलाक नहीं होते? लम्पट और व्यभिचारियों को धिक्कारने की बजाय ( हजारों प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी हमारे आपके देखने और परिचय में हैं जिनकी बीबियाँ इनके नाम पर गाँव में सड़ रही हैं और ये शहरों में दूसरी औरतों के साथ खुल्लमखुल्ला रहते हैं, जीवन भर) धिक्कारना है तो उन व्यभिचारियों को धिक्कारा जाना चाहिए। पति पत्नी संबंध से सदा के लिए अलग हो चुके दो लोगों को जबर्दस्ती एक दूसरे के गले बांधना कदापि उचित नहीं,
    May 24 at 5:37pm · Edited · Like · 3
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज अजीब बात है जब हम अपने लिए सोचते हैं तो संवेदना के धरातल पर सोचते हैं । और जब अन्य के लिए, तो आदर्श वादी हो जाते हैं ।
  • Raghvendra Awasthi सिद्धार्थ के परिवार को त्यागने पर बुद्ध को समाज ने किस तरह देखा ? 

    फोकस स्त्री की अवहेलना पर है या किसी ईमानदार व्यक्ति के चुनाव पर ...जो जब वह समर्थ हुआ उसने वही चुना जो उसका मार्ग था ....

    गलत और सही सब सापेक्षिक ...समझ और दृष्टि के अनुपात में
  • DrKavita Vachaknavee मैं अपने लिए भी सोचूँ तो मैं कभी ऐसे पुरुष के साथ रहना नहीं चाहूंगी, जिसकी मुझ में अनुरक्ति न हो।
    May 24 at 5:30pm · Edited · Like · 2
  • Raghvendra Awasthi दुरुस्त बात ........चुनाव अनुरक्ति ही कराती है .......और अनुरक्ति अपनी-अपनी
  • DrKavita Vachaknavee रही आदर्श की बात , तो इसमें कौन सा आदर्शवाद है। दो तलाक़शुदा लोगों को उनका जीवन जी लेने दिया जाए , इसमें आदर्शवाद नहीं व्यावहारिकता है। संसार भर में माँ बेटे का रिश्ता किसी भी नियम से अलग नहीं हो सकता क्योंकि वह हमारे हाथ में नहीं है, पर संसार में पति पत्नी अलग होते हैं, सो ये भी हो गए।
  • DrKavita Vachaknavee दीप्ति जी, आपके इस नियम से चलें तो महादेवी वर्मा भी अत्याचारी, क्रूर शोषक और अमानवीय राक्षसी ठहरा दी जाएँगी क्योंकि उन्होने अपने पति को स्वीकार नहीं किया था और उन्हें छोड़ दिया था जबकि उनके पति ने जीवनभर विवाह नहीं किया।
    May 24 at 5:32pm · Edited · Like · 3
  • Raghvendra Awasthi समाज जब अति कर देता है तब संवेदनशील नहीं क्रूर हो जाता है ....
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज मेरी पोस्ट तो सहज थी । इतनी असहजता कैसे आ गयी। मैंने उस स्त्री की पीड़ा को अनुभव करने की कोशिश की जिसका जिक्र पत्नी के रूप में किया गया है। यदि कोई सम्बनध नही रहा तो पहले की तरह मौन साधना चाहिये था।
  • Raghvendra Awasthi दीप्ति .....कोई अफेंस नहीं किया तुमने ....सहज अभिव्यक्ति है तुम्हारी ...ईमानदार भी
  • Raghvendra Awasthi प्रारब्ध एक बहुत गंभीर और रहस्यमय शब्द ही नहीं ....अर्थ भी है
  • DrKavita Vachaknavee इसका उत्तर हजारों लोग मीडिया और सोशल मीडिया पर दे चुके। पहले ऐसा नियम नहीं था कि यदि कभी आपका विवाह हुआ है तो उसकी जानकारी भरनी अनिवार्य है , इसलिए पहले नहीं उल्लेख किया। जिस दिन संविधान ने इसे अनिवार्य कर दिया उस दिन उल्लेख करना पड़ा , न करते तो झूठ बोलते।
    May 24 at 5:41pm · Edited · Like · 2
  • Raghvendra Awasthi सहमत
  • Raghvendra Awasthi अब मैं गंभीर चर्चा का आह्वाहन करता हूँ .....करिए मित्रो
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज तुम भूल गये पुरुषत्व मोह में 
    कुछ सत्ता है नारी की
    समरसता ही सम्बन्ध बनी 
    अधिकार और अधिकारी की।
  • Raghvendra Awasthi मोह को विसर्जन करने के बाद चर्चा के लिए उत्सुक और उन्मुख हूँ दीप्ति
  • DrKavita Vachaknavee पुरुष के साथ बंधने मात्र में ही प्रत्येक स्त्री की सार्थकता और उपलब्धि नहीं है।
  • Raghvendra Awasthi सहमत
  • DrKavita Vachaknavee इतना लंबा लेख दिया मैंने तीन चार टिप्पणियों में, अभी और क्या गंभीर करें? इस से गंभीर कर सकने की अब शक्ति नहीं
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज मैंने भी ये जानकारी मीडिया से ही पायी कि मोदी जी विवाहित है। उनके अभियान के लिए ये जरूरी था। पर एक स्त्री जिसने पूरे जीवन उनके नाम के साथ जिया , बात तो वहाँ की है। हाँ , अब कह सकती हूँ कि मैंने स्त्री को विसर्जित होते देखा है। भारतीय स्त्री का पारम्परिक शास्त्रीय चेहरा हैं जसोदाबेन
  • Raghvendra Awasthi स्त्री द्वारा बड़ी लाल बिंदी लगाने और टेपुये तक सिंदूरी मांग भरना उसकी पीटीआई के प्रति या प्रारब्ध के प्रति सहज स्वीकार्यता भी नहीं है
  • Manika Mohini कविता जी, आपकी बात बहुत सारगर्भित, अर्थपूर्ण एवं तर्कसंगत है लेकिन एक जानकारी का अभाव है, वह यह कि जसोदाबेन का वक्तव्य अखबार में छपा है कि वे स्वयं चाहती हैं कि उनके पति उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित करें। यह जगजाहिर बात है कि मोदी जी ने पत्नी को किसी अन्य महिला के लिए नहीं छोड़ा था. आज मोदी और जसोदाबेन के व्यक्तिगत जीवन को खंगाला जा रहा है तो भी दोनों के अन्यत्र सम्बन्ध की जानकारी नहीं मिलती। उम्र के इस आखिरी पड़ाव पर अनुरक्ति होना, न होना बराबर है, सम्मान होना पर्याप्त है जो जसोदाबेन में दिख रहा है. इस मामले में मैं मोदी जी को दोषी नहीं मानती क्योंकि जिसके मन में ही वैराग्य है, उसके लिए किसी भी रिश्ते की अहमियत नहीं रहती। वैरागी व्यक्ति बीतर से कोई बहुत शांत नहीं होता, वह अपनी मानसिक उलझनों में जकड़ा होता है. जसोदाबेन पढ़-लिख कर नौकरी करती थीं, लेकिन उन्होंने पुनर्विवाह के बारे में सोचा हो, इस बात के सबूत नहीं मिलते। तो उम्र के इस पड़ाव पर यदि दोनों मिलना भी चाहते हैं या Sirf पत्नी मिलना चाहती हैं और लोग उनकी मदद करने के लिए सद्भाव रखते हैं तो कविता जी, इसे आपको सहज भाव से लेना चाहिए, इतना उत्पीड़ित नहीं होना चाहिए।
    May 24 at 5:50pm · Edited · Like · 2
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज वो दोनों जिस वय में हैं वहाँ न कामेच्छा है न भोगेच्छा।
  • Raghvendra Awasthi वैराग्य युग्म का विषय नहीं .......यह एक में हो सकता है ....दूसरे में अनुराग सो सकता है ...किन्तु जीवित रह सकता है ......हर जीवित व्यक्ति एक स्वतंत्र इकाई है
  • Anju Shalini jab dono ne alag reh ker yeh sweekar kiya hai barsoo pehle .....itna adbhut rishta nibhaya hai to ab yeh charcha kyu ,,,yeh nirnay bhi un dono ka hona chahiye samaj ka nahi ....
  • Raghvendra Awasthi हम खामखाँ हलाक हो रहे है अब तो ......
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज जसोदाबेन ने पति के स्वप्न को स्वीकार किया है। माँ सारदा ने भी पूरे जीवन ठाकुर को साधना में सहायता दी। पर ठाकुर ने उनका मान रखा। मोदी जी स्वेच्छा से गये
  • Anju Shalini ha ha awasthi ji yeh kham kha hi to bade kaam ki cheej hai .....baal ki khaal nilal deti hai
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज नहीं राघवेन्द्र जी
  • DrKavita Vachaknavee मैं कहाँ से किसको उत्पीड़ित लगी? मूझे तो ऐसी कोई पीड़ा नहीं। मणिका जी ! आपने भी कहा वैराग्य वाली बात को। तो वैराग्य वाले व्यक्ति के साथ यह हमारी आपकी ज़बरदस्ती नहीं कि उसका जीवनभर का वैराग्य यों तमाम कर दिया जाए? और वैसे कोई तीसरा होता कौन है दो लोगों के व्यक्तिगत सम्बन्धों को अपनी इच्छा या अपनी सोच से निर्णायक बन चलाने वाला ?कोई स्त्री अपने दाम्पत्य जीवन में पति से अलग हो जाए और पति की किसी दिन बुढ़ापे में उसके जीवन में आ खड़े होने की इच्छा हो जाए तो क्या वह स्त्री बड़ी सहजता से 50 बरस पहले से अलग हो चुके पति को अपने जीवन में घुसने देगी ? यह कहाँ का न्याय है ? संबन्ध इस तरह इकतरफा होते हैं ? या बच्चों का मेला देखने की ललक की तरह कि मेरी गुब्बारा खरीदने की इच्छा है तो सारी दुनिया गुब्बारा न दिलवाने को अन्याय और अत्याचार कहे। कमाल है।
  • DrKavita Vachaknavee कामेच्छा नहीं है तो कोई भी किसी के साथ रहने लगेगा ? कमाल है दीप्ति !
  • DrKavita Vachaknavee अजीब बात नहीं लग रही कि हम दो लोगों को अपना चाबी वाला खिलौना समझ कर उनके जीवन में उन्हें क्या और कैसे अपने संबंध को चलाना चाहिए इस पर निर्णय दे रहे हैं । मैं तो मेरे व्यक्तिगत जीवन पर निर्णय देने वाले तो क्या बोलने वाले तक को कभी क्षमा न करूँ।
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज जिस समाज से जसोदाबेन या मोदी जी आते हैं वहाँ तलाक अभी भी सहज स्वीकार्य तो नही। स्त्री पूरा जीवन पति के नाम पर काट देती थी। ये जसोदाबेन का पति की साधना में सहयोग ही है। उसकी कद्र होनी चाहिये ।
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज कविता जी ये निर्णय नही सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति से अपेक्षा है।
  • DrKavita Vachaknavee उसकी कद्र की बजाय ऐसी चर्चा करना ही उसका मखौल बना देना है
    May 24 at 6:01pm · Edited · Like · 1
  • DrKavita Vachaknavee व्यक्तिगत सम्बन्धों में और वह भी जो पचास बरस पहले छोड़े जा चुके हैं।
  • Raghvendra Awasthi सहमत
  • DrKavita Vachaknavee मैं अपनी बात कह चुकी। अब आप लोग अदालत बन मोदी के गृहस्थ बनने न बनाने का निर्णय सुनाएँ और फिर उन दोनों को आदेश दें कि वे आपका निर्णय मानें ही मानें। न मानने पर देश की जनता से उन्हें नीच और मक्कार प्रमाणित करवाएँ। धन्यवाद !
    May 24 at 6:03pm · Edited · Like · 1
  • Manika Mohini कविता जी, यह आपसी समझ की बात है. जसोदाबेन को यह समझ में आ गया कि उनके पति किसी अनुचित इच्छावश उनसे लग नहीं हो रहे बल्कि मन में दुनिया के प्रति विरक्ति होने से अलग हुए हैं. उन्होंने उनके इस निर्णय का सम्मान किया। ज़रूरी नहीं कि अलग होने से संबंधों में विष ही पैदा हो. फिर हमें क्या अधिकार है कि हम इस नकारात्मक तरीके से उनके रिश्ते की व्याख्या करें?
  • Raghvendra Awasthi जिस स्त्री ने पूरा जीवन साधना में बिताया और शांत रही .....लक्ष्मण जी की पत्नी का नाम याद नहीं आ रहा .........जिनके उद्देश्य बड़े होते हैं वे बड़ा त्याग ही करते हैं ....मित्रो '
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज अगर ये मखौल है तो उन्हें जसोदाबेन को अखबार में दिए बयान से रोकना चाहिये था
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज राजा का व्यक्तिगत कुछ नही होता सब समाज का होता है।
  • DrKavita Vachaknavee मैंने कब कहा कि नकारात्मक या विष ? कमाल है । मैं तो उल्टे कह रही हूँ कि ऐसा कर हम जसोदा जी के एकनिष्ठ जीवन का अपमान कर रहे हैं।
  • Raghvendra Awasthi नहीं .....स्त्री या पुरुष .....अकेले में एक स्वतंत्र इकाई है .....वह अपनी बात कह सकता है
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज राघवेन्द्र जी उर्मिला
  • Raghvendra Awasthi राजा कौन ?
  • Anju Shalini pati yani modi ji ne bhi doosa vivaha nahi kiya .....mutual understanding hai yeh ....dono apni apni jagha santusht aur khush hai ...mahan vyaktitiv hai dono ka ...ek desh seva ke liye pariwar chod ta hai to dusra chup chap sehmati deta hai saath nibhane ki ...esko yu mat prastut karo ki kuch galat hai ,....yeh patni ke tyag ka apmaan hoga aur modi ji ke saath anyaaye
  • DrKavita Vachaknavee उनके संबंध 'राजा' बनने से पहले से तय हो चुके हैं, इसलिए यह तर्क निराधार है। आप उनके पूर्व जीवन के सम्बन्धों को पलटने की जिद्द कर रही हैं।
  • Raghvendra Awasthi विषय एक बार फिर दोहरा लें .......सीधा प्रश्न करो दीप्ति ......बिना भूमिका के
  • Renu Bali Khurana jasodaben ji ek mahan tapasvini hai,prem may sirf dene ka bhaav hota hai,vo bilkul bhi peedit nahi hongi,....
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज कविता जी , आप पजेसिव क्यों ? मैंने तो मोदी जी की ही टीम में उत्तर प्रदेश में काम किया है। वे तो हम सब के हृदय हार हैं । एक बार उस स्त्री की पीड़ा कै अनुभव करिये । जिसने किसी कै नाम पर पूरा जीवन जिया है। स्त्री के प्रति ऐसी कठोरता
  • Anju Shalini dipti ji ....prashan ab adhikar ka hai hi nahi ....dono apni icha se alag reh ker ek doosre ko samman de rahe hai ....
  • DrKavita Vachaknavee आप तथ्य और सत्य को पज़ेसिवनेस्स समझती हैं ? भावुकता के समर्थन को सहमति ?
  • Shiva Tomar madam ji app kyu modi ke pichhe pade ho plzzzz..... rahne dooo
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज कविता जी। मेरी पोस्ट अखबार में छपे जसोदाबेन के बयान पर है। इसमें भावुकता नहीं वरन् प्रश्न है।
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज आज मोदी इन बहसो से ऊपर हैं ।
  • Anju Shalini aary patrakar baar baar puchte hai aap delhi aayengi to unhone kaha bulayenge to jaroor aaoongi
  • DrKavita Vachaknavee  डॉ. सरोज गुप्ता
  • Virendra Jain कुछ को मोदी को पत्नी के बिना देख कर अंतर्मन से सुख मिलता है। अरे भाई ये पति पत्नी के बीच का मामला है उन्हें आपस में तय करने दें
  • Kavi Sanjay Shukla आप लोग चिन्ता ना करे माननीय मोदी जी जसोदाबेन को पूरा सम्मान देगे! जो हो गया सो हो गया!
  • Krishna Bihari yah nitaant niji maamla hai .... anuchit hoga kuch bhi kahna .
  • Kamlesh Chauhan DrKavita Vachankavi ki har baat per sehmat hu . Lekin Deepti Bhardwaz aap kis yug ki baat kar rahi hai us yug ki jo ghar mai aurto ke rakhte huve bahar ki aurto se gulshare udate hai ? Modi ji se Pukar karne se pehale Jaayiye us samaz ka udhar Ki...See More
  • Kamlesh Chauhan Dr Deepti Bhardawaz apki bhavna ko namskar lekin eltza hai Modi ji aur Yashdabhen ke rishte ko emotional black mail mat kijiye. Indra Gandhi ne to do bacho ke janam ke baad Firoz Gandhi se algat le li thi kam se kam Modi ji ne jo phainsla kiya hai...See More
  • Kamlesh Chauhan Kavi Sanjay Shukla Modi ji ne Samman diya hai. Jis aurat ko Unhone padaya aur is kabil banaya ki woh apne pavn pr khada kiya kaya yeh samman nahi hai? Khud Kamandal Le kar Tapasavi banane chale gaye lekin Bhagaya mai unke Desh ki seva likha tha jo Unho...See More
    May 25 at 2:22am · Edited · Like · 1
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज Kavita VachaknaveeKamlesh ChauhanKrishna Bihari,Virendra Jain, जी ... आप सबके तर्क को प्रणाम । देश को एक सशक्त प्रधानमंत्री मिला है ये सौभाग्य है। आप सब मेरी पोस्ट एक बार फिर ध्यान. से पढ़ना । मैंने स्त्री दृष्टि से स्त्री के समर्पित जीवन को दृष्टि गत रखते हुए स्त्री के अवसर पर उचित सम्मान की बात की है। तीन वर्ष के साहचर्य ने मोदी जी के व्यवहार ने जसोदाबेन को जीवनभर बाँधे रखा। ये बात आज के संदर्भों में एक उदाहरण है। भारत में पतिव्रताओ के उदाहरण दिये जाते हैं ये उनमें से एक है। जिन्होंने पढ़ाई पूरी की शिक्षिका बनीं और मोदी जी के लिए एकनिष्ठ भाव से जीवन जिया। 
    जसोदाबेन जिस गाँव और परिवार से आती हैं वहाँ दूसरा विवाह या तलाक जैसे शब्द आम प्रचलन में नही हैं । पढ़ी लिखी कुछ स्त्रियों के आधार पर पूरे भारत की सामाजिक मान्यताओं की अनदेखी नही की जा सकती। 
    जसोदाबेन का जिक्र आया तो इसीलिए कि उन्होंने कोई दूसरा विवाह नही किया। उनकी साधना भी कम महत्वपूर्ण नहीं । स्त्री दृष्टि से स्त्री की संवेदना को अनुभव करते हुए ही मैंने बात कही है। एक मानवीय गरिमा के हितार्थ।सादर
  • Kumar Sauvir मोदी जब तक जसोदा को नहीं समझ सकते, तब तक वे खुद को जसोदा के तौर पर महसूस करें। लेकिन दीप्ति जी, जसोदा को भी मुंह खोलना पड़ेगा। केवल मोदी को नहीं, जसोदा को भी समझना पड़ेगा कि वह कब तक जसोदा बनी रहेगी। माना कि यह युद्ध महिलावादियों का भी है, लेकिन मूलत: तो यह प्रकरण जसोदा का ही है।
  • Arvind K Singh दीप्ति जी ये तो सचमुच बहुत गंभीर सवाल उठाया है आपने
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज Kumar Sauvir जी , बात महिलावादी की कतई नही है। मेरी बात सिर्फ संवेदना के धरातल से उपजे यक्ष प्रश्न की है। जैसे मोदी अब व्यक्ति गत नही रहे वैसे ही जसोदाबेन अब दुनिया के सामने हैं गुमनामी से बाहर। मैं बचपन से सीखती आई हूँ कि वरिष्ठो का जैसा आचरण होगा छोटे भी वैसे ही बनेंगे
  • Kamlesh Chauhan kitne dukh ki baat hai ki abh Yoshda ji ko muhn khulane pr ham majbur kar rahe hai . Logo ko koi aur kaam nahi hai? kaya Modi ji ko desh ki aur uljhane kaya kam hai jo aap log Yashodabhen ke muddo ko uthakar baith gaye ho . had ho gayi hai
  • Kamlesh Chauhan Kaya Modi ji apni ghar ki uljhane le kar desh mai shashan karenge
  • Ashok Rawat मोदी जी हर माँ आप जैसे पुत्र की कामना करेगी पर हर स्त्री आपसे डरेगी। आपने भारत के लिये जो साधना की वो तब तक बेमानी है जब तक उस साधना की मौन साधिका जसोदाबेन को उनका मान न मिले।..........आपकी बात सौ फीसदी सही है मोदी की पत्नी के त्याग को सम्मान मिलना चाहिए.
    May 25 at 4:41am · Edited · Like · 2
  • Kamlesh Chauhan Yoshoda ji ke naam per kar di hai rajniti ab nari ke hakko ke baare bolne walo logo ne .. achhi Rajniti hai .. Rape ke baare nahi , Kashmir mai hindu aurto ko blatkar kiya gaya unke gale kaate gaye unke liye to awaj uthi nahi lekin Yashodabhen jo...See More
  • Amit Agarwal Jab ye shadi barso pehle se khatm hai to ab biwi biwi ka shor kyun macha rahe ho. Abhi tak kuch nahi tha jaise hi pm bana to biwi saath aaney ko ready. Ye Kya???
  • Preet N Singh bullshit ................
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज बड़ी अजीब बात है कि जो स्त्री वादी होने का दावा करते रहे अब तक वे ही अपने निहित स्वार्थों के कारण. सच स्वीकारने से कतराने लगे। कोई बड़ा पुरस्कार या पद मिलने की आस में भाव और भाषा बदल गयी। मोदी जी के क्लोज फ्रैण्ड बन फोटो लगाने से बिजनेस मिलने में आसानी होगी । इसी लिए एक स्त्री के समर्पित भाव को स्वीकारने में इतना कष्ट। मुझे तो मीडिया से ही जानकारी हुई की मोदी जी की पत्नी हैं ।
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज preet n singh ji मैं आपसे परिचित नहीं ।
  • Shalini Nagaich Deepti ji, adbhut n hradysparshy chitran.
  • Kamlesh Chauhan Amit aggarwal very good point kaya kare logo ko dusro kai nizi mamalo mai bolna mahanata lagti hai. Please dont know how to mind their own biz sad.
  • Kamlesh Chauhan http://youtu.be/hSJbmB-AxMg She is not weak woman . This woman can speak for her own right . She is not weak woman get a life friends
    Jashodaben, a 62-year-old retired school teacher...
    YOUTUBE.COM
  • DrKavita Vachaknavee हम लोग दूसरों की निजता की सम्मान करना कब सीखेंगे !
  • Pratibha Dave Kitani shalinata hai Jasodabahenme!. Kyun anya log ise dhatane pe lagna chahte hai? Kisi ko is vishay me bolana, charcha uthana uchi nahi lagata aur vo bhi apani mahata ke liye!. Please, is sambandh ki shalinata aise hi rahene digia. Dil se vairagya ...See More
  • Kamlesh Chauhan I dont know You Pratibha Dave but I salute you. Thanks Ham Hind ki hai Nariya Jalti Chingariya Samjhe na Humen koi Phoolo Ki Kyariya.. If My hubby leave me I will not look back .. I wont let anyone to tell me what to do and I respect whatever the reason he has to leave me Politics or something else. Do we want men to be suffocated with us?
  • Kavi Laxminarain Agarwal मोदी देश निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं न कि सत्‍ता भोग में।कोई भी भावनात्‍मक बाधा या कमजोरी इस यज्ञ खन्‍डित कर देगी।ये एक स्‍त्री के जीवन का सवाल नहीं है देश की 60 करोड़ स्‍त्रीयों के भविष्‍य का सवाल है।अगर ये देश तालिबानी मुसलमानों के हाथों में चला जाता है तो सोचिए 50 करोड़ हिन्‍दू महिलाओं का भविष्‍य क्‍या होगा।पाकिस्‍तान में हिन्‍दू महिलाओं का अपहरण करके तालिबान के लिए वंश्‍या की तरह इस्‍तेमाल होता है।जहॉ तक राम और सीता का प्रश्‍न है ये भी सत्‍य है कि राम ही वो महापुरूष हैं जिसने एक पत्‍नी प्रथा की नींव रखकर नारी के गौरव को बढ़ाया।
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज Kavi Laxminarain Agarwal ji आपने मेरी पोस्ट का सटीक जबाव दिया।वरना सारे गुजराती मुझे ये सोच कर घेर रहे थे कि सत्य बोल मैंने अपराध कर दिया और दिल्ली पर काबिज होने से उन्हें रोक दिया। सबका स्त्री वाद धरा रह गया।
  • Shyam Bhatia Well said -beautiful letter to Sh Narendra Modi
  • Kavi Laxminarain Agarwal कांग्रेस,RJD,JDU.SP,BSP. आदि ने तो सत्‍ता मुसलमानों को सौंपने की पूरी तैयारी कर ली थी हिन्‍दूओं के भातर निराशा बैठने लगी थी।मोदी जी के आने से हिन्‍दूओं में एक आशा का संचार हुआ है।केवज एक स्‍त्री की के दृष्‍टिकोण से हर बात को मत देखा कीजिए।नरेन्‍द्र मोदी न भी कभी किसी अन्‍य महिला से सम्‍बंध नहीं रखा वरना अन्‍य नेताओं को देख लीजिए।ये एक यज्ञ है जिसमें जशोदाबेन और नरेन्‍द्र मोदी दोनों ही अपने सुखों,भावनाओं की आहुति दे रहे हैं।मोदी की नजर बहुत दूर तक है बहुत विशाल एजेन्‍डा है उनके मष्‍तिस्‍क में उन्‍हें ऑख बन्‍द करके समर्थन दें।मेरी किसी टिप्‍पणी से आपको ठेस पहुंची हो तो क्षमा करें।
  • DrKavita Vachaknavee भाईसाहब बहुत अच्छा उत्तर दिया आपने कि मोदी सत्ता सुख में नहीं लगे, राष्ट्रनिर्माण में लगे हैं। 'मोदी की महत्वाकांक्षा' कह कर जबर्दस्ती गाली दी जा रही थीं। यदि उन्होने व्यभिचारियों की तरह किया होता या किसी अन्य से संबंध बनाने के लिए जबर्दस्ती पत्नी को तजा होता तब तो भी कोई कुछ कह भी सकता था, पर... हद्द हुई पड़ी थी। खैर ! धन्यवाद। Kavi Laxminarain Agarwal
  • Raghvendra Awasthi सहमत ....मोदी की जीवनयात्रा को एक अनुष्ठान की तरह देखा जाना ही समीचीन है ....वे समय द्वारा देश में परिवर्तन के लिए चुने गए व्यक्ति हैं .........मोदी को जो सफलता मिली है वह किसी भी दृष्टि से मानवीय सीमाओं से परे और अलौकिक है ...मोदी स्वयं भी यह सब न तो जानते होंगे ....न उन्होंने ऐसा सोचा होगा ....उनका कार्य उनके लिए तय पट कथानुसार चल रहा है ......वे बस उसमे अभिनेता हैं ...ऐसे समझे मित्रों 
  • डॉ. दीप्ति भारद्वाज सौ फीसदी राघवेन्द्र जी
  • Raghvendra Awasthi अब तुम खुश हो जाओ दीप्ति ......तुम्हारी पोस्ट सार्थक रही 
  • Rajeev Agnihotri bilkul sahi
  • Mahendra Tiwari  सार्थक तर्क वितर्क....
  • DrKavita Vachaknavee

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2 टिप्‍पणियां:

  1. आपने जो सवाल उठाया है, वह भारत कम लेखकों ने ही उठाया है

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  2. इन संवादों द्वारा बहुत सी बातें सामने आईं .इस समय की माँग है मोदी जी निरुद्विग्न मन से ,जो बीड़ा उन्होंने उठाया है उसका निर्वाह करें .अब तक जिस ओर प्रवृत्ति नहीं जागी कह-सुन कर उस ओर उन्मुख करने से किसका भला होगा?जसोदा बेन ने पूरी निष्ठा से जीवन जिया -दोनों ने महत् उद्देश्यों के लिए बहुत से प्रलोभन त्याग कर अपने जीवन को ढाला है ,अब( लोगों के पूछने- उकसाने पर भी) सबके बीच वह सब विवाद का विषय बना कर कर अपना गौरव कम न होने दें .परस्पर संवाद से जो समाधान मिल सकता है वह सार्जनिक विषय न बने तो शोभनीय होगा .

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