मंगलवार, 3 सितंबर 2013

'हाशिये उलाँघती स्त्री' .... व आप और मैं

'हाशिये उलाँघती स्त्री' .... व आप और मैं 
http://vaagartha.blogspot.com/2013/09/Indian-women-fiction-writers-and-a-historical-collection-of-their-stories-in-25-volumes.html


वर्ष 2008 में रमणिका गुप्ता जी ने 'युद्धरत आम आदमी' के "हाशिये उलाँघती स्त्री" विशेषांक की योजना का सूत्रपात किया था। जिसके अन्तर्गत सभी भारतीय भाषाओं की महिला रचनाकारों की स्त्रीविमर्श विषयक रचनाओं के संकलन की योजना थी, जिसे 'रमणिका फाऊण्डेशन' द्वारा काव्य-संकलन और कहानी-संकलन के रूप में छपना था। काव्य संकलन तो दो भागों में 26 मार्च 2011 को लोकार्पित हो गया था (यहाँ विस्तार से देखें - http://vaagartha.blogspot.co.uk/2011/12/blog-post_9899.html


... किन्तु कहानी संकलन का काम अब पूरा हुआ है।
यह कहानी संकलन कुल लगभग 25 खण्डों में आएगा व इसमें कुल 23 भाषाओं की महिला कथाकारों की कहानियाँ सम्मिलित हैं।  इसके प्रारम्भिक (भारत की हिन्दी कहानी) के तीन खण्डों का प्रकाशन हो चुका है और इनका लोकार्पण 11 सितम्बर को साहित्य अकादमी, दिल्ली में हो रहा है। शेष लगभग 20-22 खण्ड भी धीरे-धीरे एक-एक कर शीघ्र ही पाठकों के हाथ में होंगे। अच्छी बात यह भी है कि काव्य की तरह इस कहानी अंक में भी रचनाओं का क्रम रचनाकारों की जन्मतिथि के क्रम से रखा गया है। यथा भारत की हिन्दी कहानी के इन 3 खण्डों को 'कोठी में धान' नामक पहले खण्ड में 8 दिवंगत रचनाकार और तथा 1947 से पहले जन्मी रचनाकार सम्मिलित हैं। दूसरे खण्ड 'खड़ी फसल' में 1948 से लेकर 1964 तक जन्मी (36)  कथाकार सम्मिलित हैं व  तीसरे खण्ड 'नयी पौध' में 1965 वर्ष से लेकर 1984 तक जन्मी (33) युवा कथाकारों की कहानियाँ सम्मिलित हैं।


इस ऐतिहासिक महायोजना की मुख्य सम्पादक रमणिका दीदी है व सह संपादक हैं अर्चना वर्मा जी। कविता व कहानी वाले दोनों संकलनों में रचनाकार के रूप में तो मैं यद्यपि हूँ ही किन्तु मेरे लिए और सुखद बात यह भी है कि इसके विदेश / प्रवासी वाले खण्ड की सम्पादक के रूप में भी मुझे इस से जुड़ने का सौभाग्य मिला है; यह अवसर मेरे लिए एक ऐतिहासिक अनुभव व घटना है। यह अवसर उपलब्ध करवाने के लिए मैं रमणिका दीदी के प्रति कृतज्ञ हूँ; यद्यपि उनका आत्मीय स्नेह तो मैं लंबे अरसे से लेती आ ही रही हूँ । 


प्रवासी / विदेश वाले खण्ड के लोकार्पण में यद्यपि मुझे निस्संदेह उपस्थित रहना था, तदनुसार ही जनवरी 2014 में प्रवासी सम्मेलन में उसके लोकार्पण की योजना भी बना ली थी, किन्तु किन्हीं अपरिहार्य स्थितियों के कारण मेरा भारत जाना गत वर्ष से सम्भव ही नहीं हो पा रहा है। फिलहाल शायद जनवरी 2014 में लोकार्पण पर भी मैं उपस्थित न हो पाऊँ। ... इसका मलाल मन पर हावी है। 


जिन-जिन लेखिकाओं की रचनाएँ इसमें सम्मिलित हैं वे अपनी लेखकीय प्रति लोकार्पण के समय स-सम्मान प्राप्त करना चाहें व लोकार्पण के ऐतिहासिक अवसर पर सम्मिलित होना चाहें तो जनवरी में भारत जाने का कार्यक्रम बनाएँ। तिथियों की सूचना अलग से दूँगी। यदि भाग लेने के / की इच्छुक हैं तो सम्पर्क बनाए रखें
 जो लेखिकाएँ भाग नहीं ले सकेंगी वे भी कृपया सूचित करें ताकि उनकी लेखकीय प्रति भिजवाने की व्यवस्था तब की जा सके। ​


  



7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं कविताजी

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  2. हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएँ.
    डा. मीना अग्रवाल पूछ रही हैं-क्या ज्ञात हो सकता है कि पहले और दूसरे खंड में किन-किन की कहानियाँ सम्मिलित की गई हैं?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लगभग 80-90 नामों की सूची तो अभी लन्दन में बैठ कर देना मेरे लिए संभव नहीं है। यदि चाहें तो रमणिका जी से सम्पर्क कर पता किया जा सकता है। यदि किसी नामविशेष की तलाश है तो उसकी जन्मतिथि बताते हुए कार्यालय के किसी व्यक्ति से सूची में से खोज कर पुष्टि करने को कह सकते हैं; क्योंकि रमणिका जी के लिए भी इस अवस्था में फोन पर तुरंत सूची खोज कर बताना कष्ट साध्य होगा।

      अन्यथा एक सप्ताह की ही बात और है, 11 को विमोचन के पश्चात् तो पता चल ही जाएगा।

      हटाएं

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