जब हम भारत में रहते थे तो लहसुन–प्याज न खाने के चलते हमारे यहाँ टमाटर के अधिक प्रयोग की अनिवार्यता थी। जो लोग प्याज खा लेते हैं, उन्हें वैसे भी टमाटर की अनिवार्यता कुछेक भोज्य पदार्थों के लिए ही होती है। मैंने क्योंकि स्वयं अधिकांश फसलें अपने हाथ से बोई, उगाई काटी हैं अतः एक–एक फल, एक –एक फली, एक–एक कन्द, व एक–एक शाक की प्रत्येक इकाई का महत्व तथा प्रतीक्षा से परिचित हूँ। उन के हमारी इच्छानुसार उग कर तैयार न होने का अर्थ उगाने वाले का दोष नहीं, अपितु प्रकृति व पर्यावरण का चक्र, नियम तथा सन्तुलन है।
ऐसे में जिन दिनों टमाटर की फसल नहीं होती थी, या मण्डई में नहीं मिलते थे तो गृहणी के रूप में जो–जो उपाय करती थी, उन्हें पाठकों की सहायता के लिए साझा कर रही हूँ।
(प्याज–लहसुन न खाने–पकाने के चलते मेरी गृहस्थी में प्रतिदिन बड़े आकार के सात–आठ टमाटर शाक–दाल हेतु बारहों माह चाहिए होते थे)। ऐसे में विकल्प दो–तीन थे। गृहणियों को बिना हाय–तौबा मचाए शान्ति से अभाव को भी भाव से पूर लेने का गुण अनिवार्यतः बनाए रखना चाहिए। यह हमारे ही पारिवारिक सम्मान का कारक बनता है। तो आइए, मेरे अनुभव से आप को कुछ लाभ मिले तो इन्हें अपना सकते हैं –
– कोकम
दक्षिण में गहरे लाल रंग का एक बहुत खट्टा फल आता है, जिसे कोकम कहते हैं। उस का खट्टा–सा शरबत भी बाजार में मिलता है। इस कोकम की सूखी लाल–भूरी फाँकें बिकती हैं। जिस किसी में डाल दें, खटाई और रंग देती हैं। मैं सदा उन्हें घर में रखती थी। जिस किसी दिन टमाटर घर में समाप्त हुए, उस दिन दाल को कोकम तथा अदरक डाल कर उबाला व फिर बघारा करती थी। कोकम आज भी मेरी गृहस्थी में सदा रहता है। यहाँ तो उस की दीर्घावधि तक सुरक्षित रहने वाली गीली फाँकें उपलब्ध हो जाती हैं।
– साबुत लाल मिर्च
सूखी साबुत लाल मिर्च भी टमाटर के अभाव में काम आती है। आप को अधिक मिर्च नहीं रुचती तो आप प्रत्येक मिर्च को तोड़, उस के बीज व दाने बाहर निकाल अलग प्रयोग हेतु सहेज लें तथा छिलके को पानी से धो, कुछेक छोटे–छोटे टुकड़े कर लें, जैसे एक लम्बी मिर्च हो तो चार–छह टुकड़े हो सकते हैं। उन्हें अलग से उबाल कर, पानी से निकाल दाल या शाक में ऊपर से मिला दें तो टमाटर के लाल रंग का आभास देंगी। उबालने से बचा हुआ पानी भी स्वादानुसार मिलाया जा सकता है। ऐसे में टमाटर की खटाई की कमी पूरी करने हेतु अमचूर प्रयोग करें।
– इमली का अवलेह
बाजार में इमली का बिना गुठली–डण्ठल का तैयार अवलेह उपलब्ध होता है। मेरी गृहस्थी में वह सदा रहता आया है। उसे भी रंगत तथा खटाई हेतु, विशेषतः साम्भर हेतु प्रयोग करती आई हूँ।
इन उपायों से सम्भवतः आप भी अपनी गृहस्थी और चौके को अभाव रहित तथा अनवरत चला सकते हैं।
–✍🏻 कविता वाचक्नवी