सोमवार, 27 मई 2013

बार-बार दिन यह आए ......

बार-बार दिन यह आए  : कविता वाचक्नवी

कुछ दिन बहुत विशिष्ट व विचित्र होते हैं... जैसे आज ही का दिन ! 

आज मेरे बच्चों की दादी जी (हमारी 'अम्मा') की पुण्यतिथि है और साथ ही आज मेरे पिताश्री का जन्मदिवस। मेरी सास बहुत मजबूत व सशक्त स्त्री थीं, जाने कितनी स्त्रियों में जागृति के लिए उन्होंने कारी किए और किसी भी प्रकार की अन्ध आस्था, परम्परा व रूढ़ि आदि को अपने व परिवार में आने नहीं दिया, जाने कितने सामाजिक कार्य किए और जीवन में किसी अवैज्ञानिक अतार्किक रीति रिवाज को न तो अपनाया व न परिवार में आने दिया। उनकी अगली दो पीढ़ी की कई स्त्रियाँ भी उतनी सशक्त नहीं हो सकीं, जितनी सतर्क सचेत, जागरूक, शिक्षित व सामाजिक कार्यकर्ता वे थीं। कोलकाता की बस्तियों में उन्होंने बहुत शिक्षा व समाज सुधार के अनेक सामाजिक कार्य किए, आर्यसमाज की सक्रिय नेत्री रहीं। उन्हें शत शत वन्दन ! 

 मेरे बच्चों के पास अपनी दादी जी की बहुत महीन-सी स्मृतियाँ हैं, जब वे सिधारीं तो बच्चे बहुत छोटे-छोटे थे, दादा जी तो बच्चों के जन्म से पूर्व ही सिधार चुके थे।

दूसरी ओर नानी को सिधारे भी युग बीत गए।


बच्चों के लिए अपने दादा-दादी व नाना-नानी आदि के प्रेम का केवल एक ही स्रोत रहा - उनके नाना जी... मेरे पिताजी ! 

आज पिताजी ने जीवन का एक बड़ा पड़ाव पार किया है....संसार में कोई पिता अपनी सन्तान के लिए इतनी तपस्या नहीं कर सकता जितनी मेरे पिताजी ने हमारे लिए हमारी माँ के महाप्रयाण के बाद की। उस तपस्या का उल्लेख करने या उसे शब्द-शब्द लिखने का सामर्थ्य भी मेरी इस कलम में नहीं। पिताजी के अस्तित्व में ही मेरा अस्तित्व निहित है। उनके बिना बिना मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं। पिताजी ने जीवन में जितने सामाजिक कल्याण के कार्य, भाषा के लिए जितने बलिदान व संघर्ष, लेखन (साहित्य व दर्शन) में जो अपार गुणवत्ता, मुझे व भाई को गढ़ने में जो संघर्ष व तप, जनान्दोलनों में जो भूमिकाएँ निभाई हैं, उनका इतिहास दो-चार-दस पन्नों में लिखने-समाने की वस्तु नहीं है। उनके जैसा पिता किसी अत्यन्त भाग्यशाली को ही मिल सकता है। मैं पिताजी के प्रति हजार बार नतमस्तक होना चाहती हूँ तो भी कम है..... वे मेरी जीवनीशक्ति का उद्गम हैं, विचार की प्रेरणा, लेखन के प्राण, संघर्ष, शक्ति व ऊर्जा के स्रोतपुंज आधार हैं। वे क्या हैं, इसे बताया बखाना नहीं जा सकता ..... ! आज उनके जीवन की इस विशेष जन्मदिवस-वेला में उन्हें शत शत अभिनन्दन ! वे स्वस्थ व सक्रिय रहें, शतायु हों व उनका आशीर्वाद हम पर सदा सुरक्षाकवच की भाँति बना रहे, यही एक कामना मन में इस घड़ी बार बार जगती है। पिताजी को बार-बार प्रणाम व अभिनन्दन !

Swansea (स्वाञ्ज़ी), ब्रिटेन में सड़क पर लगे एक पट्ट पर कुछ पढ़ते हुए , 24 मार्च 2011 



8 टिप्‍पणियां:

  1. आप के पिता जी के जन्म दिन पर उन्हें मेरा नमन । आप धन्य हैं ऐसे तपस्वी गुणी पिता की सन्तान होकर ।

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  2. बड़े बुज़ुर्गों का आशीर्वाद हम सबको मिलता रहे।

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  3. आप की सास के जन्मदिन पर बधाई देना भूल गया था । उन्हें भी प़णाम करता हूँ ।

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    1. आपकी भावना को नमन करती हूँ किन्तु आज उनका जन्मदिवस नहीं पुण्य तिथि (निधनतिथि) है।

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  4. मेरा उन्हें प्रणाम है बड़ों का आशीर्वाद मिलता रहे इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है

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