रविवार, 10 अक्टूबर 2010

नदी उदास नहीं थी

नदी उदास नहीं थी

आज तड़के ७ से ९ बजे तक बापू के सेवाग्राम आश्रम व विनोबा जी के पवनार आश्रम गए, जो कि पवनार नदी के घाट पर ही बसा है. मन आनन्दित व अभिभूत हो गया. अरसे बाद संवाद करते हुए, फ़ेसबुक के मित्रों को बताया तो एक रोचक चर्चा हो गई. संजो रही हूँ, ताकि यादें बनी रहें सुरक्षित.....



  • Settin




Dr.Kavita Vachaknavee

Dr.Kavita Vachaknavee सेवाग्राम आश्रम और पवनार नदी के तट पर पवनार आश्रम आज तडके घूमना हो गया. नदी को छूने की लालसा थी, सो साध ली. कई मित्रों का दल साथ था, खूब फ़ोटो शोटो खींचे गए. दिन सार्थक हुआ....

12 hours ago  ·  · 

    • Mayank Upadhyay What do you mean by this ???????????
      11 hours ago · 

    • Dr.Kavita Vachaknavee मयंक जी, अपने सिस्टम में देवनागरी पढ़ने की व्यवस्था करिए, तभी तो देवनागरी अपने सही स्वरूप में दीखेगी और आप सही सही पढ़ पाएँगे अन्यथा ये सब लिपि चिह्न आपको प्रश्नवाचक चिह्न ही प्रतीत होंगे.
      11 hours ago · 

    • Gita Dev बड़ा बढिया अनुभव रहा होगा ......
      11 hours ago · 





    • Oh, maine phir se Devanagari mein likh diya, Mayank ji ke liye unke naam likhe msg ka roman roop hai -


      Mayank ji apne system mein Devnagari padhne ki vyavastha karie, tabhi to Devnagari apne sahi swaroop mein deekhegi aur aap sahi sahi pad...
      See more

      11 hours ago ·  ·  1 person


    • Sumitra Varun congrats gr8 fun that is truly life


      enjoy to the full

      11 hours ago · 


    • Jasvinder Singh Dear Kavita Vachaknavee, Good day.


      Devenagari hamarey hamarey rashtra ki bhasha ki pehchan hai. Bhasha ke bina samaj goonga hota hai. Aapki devnagari me astha prashansniye hai.

      11 hours ago ·  ·  1 person

    • Shrish Benjwal Sharma ‎@Dr.Kavita Vachaknavee मयंक जी को उपर्युक्त सलाह अंग्रेजी में दीजिये तभी तो दिखेगी।
      10 hours ago ·  ·  1 person


    • Arunesh Mishra गाँधी . बिनोबा . बकरी . निर्मला सब एक साथ ।


      याद और यादगार ।
      विभूति भाई को धन्यवाद ।

      10 hours ago ·  ·  1 person

    • Shrish Benjwal Sharma और हाँ फोटो-शोटो दिखाइये न।
      9 hours ago · 


    • Ravindra Kumar Sharma पेड़ों के पास जा ज़रा चिडिओं से बात कर /


      बरसात में बाहर ज़रा खिड़की से हाथ कर /
      तारों को तोड़ कर कभी ले आ ज़मीन पर /
      दिन को कभी तो दिन समझ रातों को रात कर / (रवि )

      9 hours ago ·  ·  2 people

    • Umeshwar Dutt Mishra भाई क्या बात है
      8 hours ago · 

    • 5 hours ago · 

    • Sneh Chandra bahut sunder.aap sahaj aur saral likhti hain jo mun ko bada pyara lagata hai.
      4 hours ago ·  ·  1 person

    • Narendra Vyas is sarthakta kee badhai aapko regarding kavita di !!
      4 hours ago ·  ·  1 person

    • Sharad Kokas नदी छूना मुझे भी अच्छा लगता है ।
      4 hours ago ·  ·  1 person

    • Latant Prasun bapu ki kutiya dekhi hoge...us kutiya me abhi tak bijli nahin hai..gandhije ka kahna tha ki jab tak pure desh me bijli nahi aa jati tab tak meri kutiya me bijli nahin aani chahiye..iska palan abhi tak kutiya me ho raha hai..is kutiya ko gandhije ki bhawna aur vichar ke anuroop banaye rakhne ke liye vahan ke karykartaon ko bahut prayas karne par rahe hain....
      3 hours ago ·  ·  1 person





    • ‎@ गीता जी, सच में अनुभव आनन्दित करने वाला था. यों तो २००६ में भी यहाँ आई थी और सब देखा-भाला ही हुआ था, पर कुछ चीजें मानो हमारी जातीय स्मृति बन जाती हैं और हर बार मन उकसता है.



      @ सुमित्राजी! धन्यवाद.सच कहा आपने.

      @जसविन्दर जी, देवनागरी में मेरी आस्था आपसे भी देवनागरी लिखवाने की माँग करने जा रही है अब तो अपनी प्रशंसा सुन कर.

      @श्रीश जी, मयंक जी को रोमन में भी तुरन्त वही सन्देश लिख दिया था, बस जरा मिनट भर बाद ही सूझा था. और हाँ, मित्रों के सब कैमरों से सारे चित्र एकत्र कर लिए गए हैं, लगभग कई सौ की संख्या है, आगामी दिनों में चिट्ठाजगत् पर सब लोग डालेंगे. मेरे कैमरे के चित्र भी उस संयुक्त भंडार में जमा करा दिए गए हैं. :)

      @ अरुणेश जी, गाँधी, विनोबा तक तो ठीक है, बस यह बकरी नटखट कहीं न दीखी.हाँ खुर से सींग तक भूरी गैय्या के दल भावुक करते रहे.और निर्मला कहाँ मिलेगी, बताइयेगा...

      @ रवीन्द्र जी, आपकी कमाल की पंक्तियाँ पढ़ हर बार लगता है कि हाय ये मैंने क्यों न लिखीं.

      उमेश्वर जी, वेमा जी, स्नेह जी, आपकी सदाशयता के लिए आभारी हूँ.यह स्नेह बनाए रखें.

      @लतान्त जी, बापू और विनोबा जी का बहुत सामान देखा, एक चर्खा खरीदने की चाह थी, सो पूरी न हुई क्योंकि तड़के आश्रम का बिक्री केन्द्र तब तक खुला न था.

      @ प्रिय नरेन्द्र जी,कई दिन बाद सम्वाद कर अच्छा लग रहा है, जल्दी ही रंगीलो म्हारो राजस्थान भी आ रही हूँ.

      @ शरद जी, सही सही अनुभव कर पा रही हूँ. और आपको तो नदी छूना अनिवार्य है भाई, कविता की अनिवार्य शर्त है नदी के लिए हुलसना.... कल छल छल को मन प्राणों में भर लेने-सा.... गो कि नदी उदास न हो और अपने में डूबी सोई न हो कि हमें दबे पाँव लौटना पड़े.....

        • Monday at 01:30 · 
        • Bishwanath Singh A very good account worth to pen them down as one's own reminices.
          Monday at 06:44 ·  ·  1 person
        • Jasvinder Singh Dear Kavita Vachaknavee,
          I accept your suggestion but unfortunately I could not learn typing in Hindi. I shall write to you in roman lipin. Hope you will bear with me.
          With best wishes,
          Jasvinder Singh
          Monday at 07:22 · 



16 टिप्‍पणियां:

  1. सही है..पूरी यादें इक्कठे कर संजोईयेगा पोस्ट के माध्यम से...

    जवाब देंहटाएं
  2. किसी भी पवित्र स्थान पर जाएंगे तो सुंदरता की अनुभूति होगी और आपने इसका सुंदर वर्णन किया है। समीर जी के सुझाव से सहमत कि एक पूरी पोस्ट आपकी इस यात्रा पर लिख डालिए॥

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद समीर जी. अरसे बाद पधारे :).

    @ चन्द्रमौलेश्वर जी, आप तो जानते ही हैं कि संस्मरण या अपने वृत्तांत लिखना मैं सदा avoid करती हूँ. टिप्पणी के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. अनीता जी, आप यहाँ देखें जिसे कल तड़के यहाँ आते ही बिना जूता खोले और बिना पानी तक पिए लगाया था -

    http://hindibharat.blogspot.com/2010/10/blog-post_13.html

    जवाब देंहटाएं
  5. वर्धा से सम्बंधित एक एक पोस्ट खोज खोजकर पढ़ रहा हूँ । उन पलों को पुन: जी लेना चाहता हूँ ।

    क्या हो गया है मुझे ?

    जवाब देंहटाएं
  6. @ विवेक,
    मेरा भी ऐसा ही चल रहा है. लगता है सब का यही हाल है. हम सभी को जाने क्या हो गया है.

    सिद्धार्थ के खिलाफ इस बीमारी को फ़ैलाने की रिपोर्ट दर्ज करवा कर तफ्तीश के लिए एक कमेटी बिठाई जाने की अनिवार्यता पर एक और संगोष्ठी आवश्यक है.
    :)

    जवाब देंहटाएं
  7. KAVITA JI...MUJHE APNI KAVITA KI PUSTAK BHIJWAEN....WANT TO TRANSLATE UR POEMS IN PUNJABI......DR.AMARJEET KAUNKE
    098142-31698

    www.amarjeetkaunke.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  8. Priti sagar..That fraud lady will coordinate the blogging in wardha..who has been declared Literary writer without any creative work..who has got prepared fake icard of non existing employee..surprising

    जवाब देंहटाएं
  9. Lagta hai Mahatma Gandhi Hindi Vishwavidyalaya men saare moorkh wahan ka blog chala rahe hain . Shukrawari ki ek 15 November ki report Priti Sagar ne post ki hai . Report is not in Unicode and thus not readable on Net …Fraud Moderator Priti Sagar Technically bhi zero hain . Any one can check…aur sabse bada turra ye ki Siddharth Shankar Tripathi ne us report ko padh bhi liya aur apna comment bhi post kar diya…Ab tripathi se koi poonche ki bhai jab report online readable hi nahin hai to tune kahan se padh li aur apna comment bhi de diya…ye nikammepan ke tamashe kewal Mahatma Gandhi Hindi Vishwavidyalaya, Wardha mein hi possible hain…. Besharmi ki bhi had hai….Lagta hai is university mein har shakh par ullu baitha hai….Yahan to kuen mein hi bhang padi hai…sab ke sab nikamme…

    जवाब देंहटाएं
  10. Praveen Pandey has made a comment on the blog of Mahatma Gandhi Hindi University , Wardha on quality control in education...He has correctly said that a lot is to be done in education khas taur per MGAHV, Wardha Jaisi University mein Jahan ka Publication Incharge Devnagri mein 'Web site' tak sahi nahin likh sakta hai..jahan University ke Teachers non exhisting employees ke fake ICard banwa kar us per sim khareed kar use karte hain aur CBI aur Vigilance mein case jaane ke baad us SIM ko apne naam per transfer karwa lete hain...Jahan ke teachers bina kisi literary work ke University ki web site per literary Writer declare kar diye jaate hain..Jahan ke blog ki moderator English padh aur likh na paane ke bawzood english ke post per comment kar deti hain...jahan ki moderator ko basic technical samajh tak nahi hai aur wo University ke blog per jo post bhejti hain wo fonts ki compatibility na hone ke kaaran readable hi nain hai aur sabse bada Ttamasha Siddharth Shankar Tripathi Jaise log karte hain jo aisi non readable posts per apne comment tak post kar dete hain...sach mein Sudhar to Mahatma Handhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya , Wardha mein hona hai jahan ke teachers ko ayyashi chod kar bhavishya mein aisa kaam na karne ka sankalp lena hai jisse university per CBI aur Vigilance enquiry ka future mein koi dhabba na lage...Sach mein Praveen Pandey ji..U R Correct.... बहुत कुछ कर देने की आवश्यकता है।

    जवाब देंहटाएं
  11. MAHATMA Gandhi Hindi University , Wardha ke blog per wahan ke teacher Ashok nath Tripathi nein 16 november ki post per ek comment kiya hai …Tripathi ji padhe likhe aadmi hain ..Wo website bhi shuddha likh lete hain..unhone shayad university ke kisi non exhisting employee ki fake id bhi nahin banwai hai..aur unhone program mein present na rahne ke karan pogram ke baare mein koi comment nahin kia..I respect his honesty ..yahan to non readable post per bhi log apne comment de dete hain...really he is honest...Unhen salaam….

    जवाब देंहटाएं
  12. महोदय/महोदया
    आपकी प्रतिक्रया से सिद्धार्थ जी को अवगत करा दिया गया है, जिसपर उनकी प्रतिक्रया आई है वह इसप्रकार है -

    प्रभात जी,
    मेरे कंप्यूटर पर तो पोस्ट साफ -साफ़ पढ़ने में आयी है। आप खुद चेक कीजिए।
    बल्कि मैंने उस पोस्ट के अधूरेपन को लेकर टिप्पणी की है।
    ये प्रीति कृष्ण कोई छद्मनामी है जिसे वर्धा से काफी शिकायतें हैं। लेकिन दुर्भाग्य से इस ब्लॉग के संचालन के बारे में उन्होंने जो बातें लिखी हैं वह आंशिक रूप से सही भी कही जा सकती हैं। मैं खुद ही दुविधा में हूँ।:(
    सादर!
    सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
    वर्धा, महाराष्ट्र-442001
    ब्लॉग: सत्यार्थमित्र
    वेबसाइट:हिंदीसमय

    इसपर मैंने अपनी प्रतिक्रया दे दी है -
    सिद्धार्थ जी,
    मैंने इसे चेक किया, सचमुच यह यूनिकोड में नहीं है शायद कृतिदेव में है इसीलिए पढ़ा नही जा सका है , संभव हो तो इसे दुरुस्त करा दें, विवाद से बचा जा सकता है !

    सादर-
    रवीन्द्र प्रभात

    जवाब देंहटाएं
  13. There is an article on the blog of Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya , Wardha ‘ Hindi-Vishwa’ of RajKishore entitled ज्योतिबा फुले का रास्ता ..Article ends with the line.....दलित समाज में भी अब दहेज प्रथा और स्त्रियों पर पारिवारिक नियंत्रण की बुराई शुरू हो गई है…. Ab Rajkishore ji se koi poonche ki kya Rajkishore Chahte hai ki dalit striyan Parivatik Niyantran se Mukt ho kar Sex aur enjoyment ke liye freely available hoon jaisa pahle hota tha..Kya Rajkishore Wardha mein dalit Callgirls ki factory chalana chahte hain… besharmi ki had hai … really he is mentally sick and frustrated ……V N Rai Ke Chinal Culture Ki Jai Ho !!!

    जवाब देंहटाएं
  14. आज महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा के हिन्दी-विश्व ब्लॉग ‘हिन्दी-विश्व’ पर ‘तथाकथित विचारक’ राजकिशोर का एक लेख आया है...क्या पवित्र है क्या अपवित्र ....राजकिशोर लिखते हैं....
    अगर सार्वजनिक संस्थाएं मैली हो चुकी हैं या वहां पुण्य के बदले पाप होता है, तो सिर्फ इससे इन संस्थाओं की मूल पवित्रता कैसे नष्ट हो सकती है? जब हम इन्हें अपवित्र मानने लगते हैं, तब इस बात की संभावना ही खत्म हो जाती है कि कभी इनका उद्धार हो सकता है .....
    क्या राजकिशोर जैसे लेखक को इतनी जानकारी नहीं है कि पवित्रता और अपवित्रता आस्था से जुड़ी होती है और नितांत व्यक्तिगत होती है. क्या राजकिशोर आस्था के नाम पर पेशाब मिला हुआ गंगा जल पी लेंगे.. राजकिशोर जी ! नैतिकता के बारे में प्रवचन देने से पहले खुद नैतिक बनिए तभी आप समाज में नैतिकता के बारे में प्रवचन देने के अधिकारी हैं ईमानदारी को किसी तरह के सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं पड़ती. आप लगातार किसी की आस्था और विश्वास पर चोट करते रहेंगे तो आपको कोई कैसे और कब तक स्वीकार करेगा ......महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा को अयोग्य, अक्षम, निकम्मे, फ्रॉड और भ्रष्ट लोग चला रहे हैं....मुश्किल यह है कि अपवित्र ही सबसे ज़्यादा पवित्रता की बकवास करता है.......
    प्रीति कृष्ण

    जवाब देंहटाएं
  15. महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्‍वविद्यालय वर्धा के ब्लॉग हिन्दी-विश्‍व पर २ पोस्ट आई हैं.-हिंदी प्रदेश की संस्थाएं: निर्माण और ध्वंस और गांधी ने पत्रकारिता को बनाया परिवर्तन का हथियार .इन दोनों में इतनी ग़लतियाँ हैं कि लगता है यह किसी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्‍वविद्यालय का ब्लॉग ना हो कर किसी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का ब्लॉग हो ! हिंदी प्रदेश की संस्थाएं: निर्माण और ध्वंस पोस्ट में - विश्वविद्यालय,उद्बोधन,संस्थओं,रहीं,(इलाहबाद),(इलाहबाद) ,प्रश्न , टिपण्णी जैसी अशुद्धियाँ हैं ! गांधी ने पत्रकारिता को बनाया परिवर्तन का हथियार- गिरिराज किशोर पोस्ट में विश्वविद्यालय, उद्बोधन,पत्नी,कस्तूरबाजी,शारला एक्ट,विश्व,विश्वविद्यालय,साहित्यहकार जैसे अशुद्ध शब्द भरे हैं ! अंधों के द्वारा छीनाल संस्कृति के तहत चलाए जा रहे किसी ब्लॉग में इससे ज़्यादा शुद्धि की उम्मीद भी नहीं की जा सकती ! सुअर की खाल से रेशम का पर्स नहीं बनाया जा सकता ! इस ब्लॉग की फ्रॉड मॉडरेटर प्रीति सागर से इससे ज़्यादा की उम्मीद भी नहीं की जा सकती !

    जवाब देंहटाएं

आपकी प्रतिक्रियाएँ मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं।
अग्रिम आभार जैसे शब्द कहकर भी आपकी सदाशयता का मूल्यांकन नहीं कर सकती।
आपकी इन प्रतिक्रियाओं की सार्थकता बनी रहे कृपया इसका ध्यान रखें।