शनिवार, 20 सितंबर 2008

वरिष्ठ लेखिका प्रभा खेतान नहीं रहीं

वरिष्ठ लेखिका प्रभा खेतान नहीं रहीं





कोलकाता।

हिन्दी की सुप्रसिद्ध लेखिका, उघमी तथा समाजसेविका डॉ. प्रभा खेतान का कल देर रात निधन हो गया। 66 वर्ष की
डॉ. खेतान अविवाहित थीं। उन्हें 18 सितम्बर को सांस लेने में शिकायत होने पर साल्ट लेक स्थित आमरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अगले दिन बाईपास सर्जरी के बाद उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। अचानक तबीयत बिगड़ जाने के बाद उन्होंने कल देर रात अंतिम साँस ली डॉ. खेतान उन प्रतिभाशाली महिलाओं में थीं जिन्हें सरस्वती एवं लक्ष्मी दोनों से वरदान प्राप्त था|


उनका जन्म 1 नवम्बर 1942 को हुआ था। दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर
डॉ. खेतान एक सफल उघमी थीं। उन्होंने हिन्दी साहित्य की भी सेवा की। उन्हें कलकत्ता चैंबर आफ कॉमर्स की एकमात्र महिला अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त था। फ्रांसीसी रचनाकार सिमोन द बोउवा की पुस्तक ‘दि सेकेंड सेक्स’ के अनुवाद ‘स्त्री उपेक्षिता’ ने उन्हें काफी चर्चित किया। किया। आआ॓ पेपे घर चलें, पीली आंधी, अपरिचित उजाले, छिन्नमस्ता, बाजार बीच बाजार के खिलाफ, उपनिवेश में स्त्री जैसी उनकी रचनाएं काफी लोकप्रिय हैं। विश्व विख्यात अस्तित्ववादी चिंतक व लेखक ज्यां पाल सार्त्र पर उनकी पुस्तकें काफी चर्चित हैं। इसके अतिरिक्त उनकी कई पुस्तकें और काव्यग्रंथ लोकप्रिय हुए। अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करने वाली आत्मकथा ‘अन्या से अनन्या’ लिखकर सौम्य और शालीन प्रभा खेतान ने साहित्य जगत को चौंका दिया। साहित्य जगत के लिए प्रभाजी का असामयिक निधन अपूरणीय क्षति है। विभिन्न व्यावसायिक सफलताओं के साथ ही एक कुशल रचनाकर के रूप में भी उन्हें याद किया जाता रहेगा। कल रविवार को स्थानीय नीमतल्ला घाट में उनकी अंत्येष्टि संपन्न होगी।



(एसएनबी)


7 टिप्‍पणियां:

  1. प्रभाजी का असामयिक निधन हिन्दी जगत के लिए बड़ी क्षति है। भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं।

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  2. प्रभू उनकी आत्मा को शांति दे।बहुत दुखद समाचार है।

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  3. ओह! ये कैसी खबर आई! इनकी रचनाऍं पढते हुए मुझे लगने लगा था, जैसे मैं इन्‍हें काफी नजदीक से जानता हूँ। छि‍न्‍नमस्‍ता पढकर तो मैं हैरान रह गया था। मन में एक गहरा अवसाद छोड़ गई ये खबर। साहि‍त्‍य जगत के लि‍ए वाकई एक अपूरणीय क्षति‍।

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  4. प~रभा खेतान की मृत्यु का समाचार पाकर मन स्तब्ध रह गया । उनका होना हिन्दी साहित्य को अन्तर राष्ट्रीय बनाता था। उनके द्वारा तैयार किया गया भारतीय स्त्री का विमर~ष अब तक का सबसे प~रामाणिक विमर~स माना जा सकता है। स्त्री सम्मान और आजादी के वौद्धिक संघर~ष की अगुआई करने वाली प~रभा जैसी मेधावी लेखिका का अचानक चले जाना लम्बे समय तक दुख देता रहेगा। कपिलदेव

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  5. प्रभा खेतान जी को नमन एवं श्रृद्धांजलि!!

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  6. गत सप्ताह ही उनसे मेरी मुलाकात हुई थी। आप चाहती थी कि इनके समस्त साहित्य यूनिकोड में परिवर्तित कर इन्टरनेट के पाठकों को उपलब्ध करा दिया जाय। इस क्रम में उनसे दो-तीन बार फोन पर बात भी हुई। अन्तीम बार जब वे हॉस्पीटल में थी तब आप से बात हूई थी। आज जब समाचारपत्र देखा तो, हम सभी दंग रह गये। इनके जीवन जीने का ढंग एक दम से निराला था। संपन्न परिवार में जन्म लेने के बाद भी आपने अपने आस पास कभी संपन्नता को प्रदर्शित नहीं होने दिया। हिन्दी भाषा की लब्ध प्रतिष्ठित उपन्यासकार, कवियित्री तथा नारीवादी चिंतक का इस तरह चले जाने से हिन्दी साहित्य जगत को काफ़ी क्षत्ति हुई है। ई-हिन्दी साहित्य सभा की तरफ से आपको अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि - शम्भु चौधरी
    http://ehindisahitya.blogspot.com/

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