tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post8151384279960741802..comments2023-11-16T02:43:41.183-06:00Comments on वागर्थ: रूप से स्निग्ध हुई प्रकृति और जीवन के एकाकार क्षणUnknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-36667060889375372832012-02-08T08:32:51.970-06:002012-02-08T08:32:51.970-06:00हिम की टिमटिम से आँखें चकाचौंध हो जाती हैं और हम स...हिम की टिमटिम से आँखें चकाचौंध हो जाती हैं और हम सब बच्चे बन जाते हैं. आपके मन का उत्साह मैं समझ सकती हूँ :) इतने मोहक दृश्य और घर के पिछवाड़े सुंदर झील भी..ऐसे मौसम में आनंद ही आनंद...Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-16682624302105318202009-12-25T09:32:31.985-06:002009-12-25T09:32:31.985-06:00ठंड तो यहाँ भी है लेकिन इस बर्फ़ को देखकर अब बहुत र...ठंड तो यहाँ भी है लेकिन इस बर्फ़ को देखकर अब बहुत राहत महसूस हो रही है। हम तो गुनगुनी धूप के प्रदेश में रह रहे हैं जी।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/15057775263127708035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-85195186770119251232009-12-23T21:30:53.403-06:002009-12-23T21:30:53.403-06:00इमेल द्वारा प्राप्त सन्देश
कविता जी,
इतने जीवंत...इमेल द्वारा प्राप्त सन्देश <br /><br /><br />कविता जी,<br />इतने जीवंत शब्दचित्रों और छायाचित्रों से प्रकृति के इस उत्सव में हमें सहभागी बनाने के लिए मैं सचमुच आपका आभारी हूँ और<br />अब इस लमहे को एक बार जीने के लिए आकुल-व्याकुल होकर "मैं चल तो दूँ" को पढ़ने के लिए उत्सुक हो उठा हूँ . कृपया इस रचना के प्राप्ति स्थल की सूचना दें.<br />एक बार फिर इतनी रमणीक और मनोहारी प्रकृति से एकाकार कराने के लिए आभार और बधाई !!!<br /> <br />विजय कुमार मल्होत्रा <br />पूर्व निदेशक (राजभाषा),<br />रेल मंत्रालय,भारत सरकारडॉ.कविता वाचक्नवी Dr.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/11795213995983671372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-50472192450671579232009-12-19T13:43:08.174-06:002009-12-19T13:43:08.174-06:00चित्र सभी दर्शनीय और सहेज कर रखने जैसे हैं.
पृष्ठभ...चित्र सभी दर्शनीय और सहेज कर रखने जैसे हैं.<br />पृष्ठभूमि की अपेक्षा अग्रभूमि पर जमी कैमरे की आँख फोटोकार की कलादृष्टि का द्योतक है.<br />चित्रों के शीर्षकों की सृजनात्मकता भी प्रभावित करती है.<br /><br />लेकिन मेरे जैसे कला के अपारखी को तो विवरण के जीवंत गद्य में सचमुच रमणीयता की अनुभूति होना ही बड़ी बात है.<br />अभिनंदन!RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-69901697941503661512009-12-19T10:22:39.581-06:002009-12-19T10:22:39.581-06:00बढिया चित्र संजोये हैं आपने... बडे नयनाभिराम... पर...बढिया चित्र संजोये हैं आपने... बडे नयनाभिराम... पर उस सर्दी में लोग ठिठुर रहे होंगे॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com