tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post6376119457698993894..comments2023-11-16T02:43:41.183-06:00Comments on वागर्थ: "पीर के कुछ बीज" Unknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-39129048810889393192013-08-23T23:34:59.385-05:002013-08-23T23:34:59.385-05:00पीर के जो बीज छंदों में फूट पड़े ,उनका लहलहाता रूप...पीर के जो बीज छंदों में फूट पड़े ,उनका लहलहाता रूप<br />कितना छाँह और विश्रामदायी है -आनन्द के बिखरते कण सँजोने को लुब्ध श्रान्त पथिक कैसे न रुके!<br />पढ़ने के बाद भी गुंजार मन में बची रहती है.आभार कविता जी !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-54422229311242746382013-08-22T07:21:05.715-05:002013-08-22T07:21:05.715-05:00bahut hee sundarbahut hee sundarashokkhachar56@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/07939212398427669565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-68519694308456680782013-08-22T06:31:50.278-05:002013-08-22T06:31:50.278-05:00धन्यवाद ! निस्संदेह आप इसे सहज कविता पर पयोग कर सक...धन्यवाद ! निस्संदेह आप इसे सहज कविता पर पयोग कर सकते हैं। Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-51886587969388356492013-08-22T02:34:36.356-05:002013-08-22T02:34:36.356-05:00मन को छुते हुए शब्द हैं………… बधाई मन को छुते हुए शब्द हैं………… बधाई Pratibha gotiwalehttps://www.blogger.com/profile/04354545551414989170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-72099309649741333332013-08-21T23:43:17.630-05:002013-08-21T23:43:17.630-05:00बहुत गहरी कविता है, पीर के बीज ही ऐसे होते हैं जो ...बहुत गहरी कविता है, पीर के बीज ही ऐसे होते हैं जो एक दिन फलते हैं, आसाओं में पलते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-48621059355635420902013-08-21T22:36:52.119-05:002013-08-21T22:36:52.119-05:00मार्मिक कविता है यह और मुक्त छन्द में हो कर भी लयब...मार्मिक कविता है यह और मुक्त छन्द में हो कर भी लयबद्ध । हर छन्द की जड़ में बहुत आँसू भरे हैं , ये शब्द मन को छू गए क्योंकि मेरी अनेक कविताओं के शब्द भी आँसुओं से <br />भरे हैं । आप की यह कविता सहज कविता का एक बढ़िया उदाहरण है । क्या इसे सहजकविता पत्रिका में छाप दूँ? Sp Sudheshhttps://www.blogger.com/profile/02398620807527835617noreply@blogger.com