tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post4632385334040026651..comments2023-11-16T02:43:41.183-06:00Comments on वागर्थ: "माँ बूढ़ी है"Unknownnoreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-67287358017807597192012-10-22T17:17:40.063-05:002012-10-22T17:17:40.063-05:00माँ नहीं रही
यकीन नहीं कर पा रही
न ही करना चाहत...माँ नहीं रही <br /><br />यकीन नहीं कर पा रही<br />न ही करना चाहती हूँ यकीन <br />कितना ही सत्य हो <br />कि <br />तुम अब नहीं हो माँ<br /><br />कैसे यह सब कुछ ऐसे हो गया माँ <br />मानो भरे मेले में एक बच्चा खो गया माँ <br />मानो इक ज़हरीला सपना दहला गया <br />बचपन कि कहानियों से <br />कोई राक्षस आया<br />माँ को उठाया और सबके देखते -देखते चला गया <br /><br />देखते- देखते माँ तुम नहीं रही <br />मानो एक किस्सा था कहानी थी <br />पर अभी कहाँ थी पूरी कही <br />बस रह गई अनकही <br /><br />कोई कुछ समझाने लगे <br />लगता है कान बहरा गए <br />कोई कुछ कहने को कहे <br />लगता है जुबान पथरा गयी <br />मां तुम क्या गयी, लगता है जान चली गयी माँ <br /><br />कल तक तुम थी मां <br />तो हम समझ ही नहीं पाए कि <br />तुम्हारे बने रहने से लगता रहा कि <br />कि दुनियां बहुत सुंदर है<br />आशाओं का खुशियों का एक विशाल समन्दर है<br /> आगे बढ़ते चले जाने का विशाल रास्ता है ज़िन्दगी <br />नित नई खुशियाँ बटोर लाने का नाम है ज़िन्दगी <br />यह भी कि <br />कि दुनियां में सब कुछ अच्छे के लिए होता है<br /> कि माँ का जन्म,- जीवन- जीना- मरना सब <br />बच्चों के लिए होता है<br /><br />फिर कैसे मान लूं <br />कि तुम हम सब कि परवाह किये बिना <br />जा पाई हो माँ<br /><br /> क्योंकि <br />जबसे याद आता है यही याद आता है माँ <br />कि हम बच्चों कि हर ख़ुशी पर तुम बलिहारी होती रही हो माँ <br />कि हम बच्चों कि निशब्द आह पर तुम दुखियारी होती रही हो माँ <br />कि हम में से कोई बच्चा खाना भूला तो दूर बैठी तुम्हारे गले में रोटी का कौर अटक गया माँ <br />कि तेरी आँखों कि नीद रूठी माँ , जब हजारो मील दूर हममें से कोई बच्चा ज़रा सा भी भटक गया माँ <br />वो सब अनुभूति वो सब दूरसंचार रहा <br />जानती हूँ कि चेतना अर्थहीन रही रही सब ह्रदय का व्यापार रहा माँ <br />फिर अचानक कैसे ये सब तोड़ पाई <br />अचानक ही कैसे हो पाई ऐसी निर्मोही <br />कि सबको रोता बिलखता टूटता छोड़ कर जा पाई मेरी माँ <br /><br />अब जब तुम सचमुच नहीं ही हो <br />तो <br />सब कुछ जेसे एक पल में बदल गया है <br />जीवन का अर्थ ,जीते रहने का सन्दर्भ <br />अपने होने ने होने का <br />अपनी खुशियों का दुखों का सब उत्तर <br />प्रश्न में बदल गया है <br /><br /><br />क्या जाना सचमुच ज़रूरी था माँ?<br />................................................................................................................................................................<br /><br />डा० अमिता तिवारी वासिंगटन डी० सी . १० /०६/2012<br /><br /><br /><br /> <br /><br /><br /><br />Dr. Amita https://www.blogger.com/profile/03109300579180300973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-3410374318325799032012-10-01T17:44:33.297-05:002012-10-01T17:44:33.297-05:00'बूढ़ी काया कितना ताक ताक सोयी थी, सूने रस्ते ...'बूढ़ी काया कितना ताक ताक सोयी थी, सूने रस्ते बाट जोहती धुंधली आँख, इकहरी काया कितना कांप कांप रोई थी'...(बहुत विह्वल अश्रुपूर्ण )कैसे रोकूँ अश्रु , धन्यवाद बिट्टोGuddo Dadihttps://www.facebook.com/guddoaroranoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-61708610387872401582010-10-07T07:26:18.958-05:002010-10-07T07:26:18.958-05:00आज पहली बात विनय पत्रिका के जरिये आपके ब्लॉग पर आन...आज पहली बात विनय पत्रिका के जरिये आपके ब्लॉग पर आना हुआ, कुछ काफी अच्छी रचनाएँ हैं आपकी| "अपनी ही छाया के पाँव टोहती", यह पंक्ति विशेषकर अच्छी लगी इस कविता में| <br /><br />आप से एक प्रश्न है - आपके मत से पिछले ३० वर्षों में हिन्दी जगत की तीन सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ कौन सी हैं एवं सर्वश्रेष्ठ रचनाकार कौन हैं?Neeraj Mathpalhttps://www.blogger.com/profile/17352800179653210794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-78070882967621099562010-06-23T20:05:26.073-05:002010-06-23T20:05:26.073-05:00साथियो, आभार !!
आप अब लोक के स्वर हमज़बान[http://h...साथियो, आभार !!<br />आप अब लोक के स्वर हमज़बान[http://hamzabaan.feedcluster.com/] के /की सदस्य हो चुके/चुकी हैं.आप अपने ब्लॉग में इसका लिंक जोड़ कर सहयोग करें और ताज़े पोस्ट की झलक भी पायें.आप एम्बेड इन माय साईट आप्शन में जाकर ऐसा कर सकते/सकती हैं.हमें ख़ुशी होगी.<br /><br />स्नेहिल <br />आपका <br />शहरोज़शेरघाटीhttps://www.blogger.com/profile/12003123660549394986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-34079351637943898402010-06-13T02:03:39.550-05:002010-06-13T02:03:39.550-05:00बूढ़ी माँ के बारे मे प्रकट हुये भाव अमूल्य हैबूढ़ी माँ के बारे मे प्रकट हुये भाव अमूल्य हैकबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवानhttps://www.blogger.com/profile/15885065966350572216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-16657916724460046182010-05-30T08:01:47.865-05:002010-05-30T08:01:47.865-05:00bahut sunder kavitabahut sunder kavitaAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-1690211907390847282010-05-26T09:18:49.928-05:002010-05-26T09:18:49.928-05:00कैनेडा से शैलजा जी का सन्देश -
आदरणीया कविता जी,
...कैनेडा से शैलजा जी का सन्देश -<br /><br />आदरणीया कविता जी,<br />आपकी सशक्त और मार्मिक कविता पढ़ी। आप ने बहुत सुन्दर तरीके से अपने भाव प्रस्तुत किये हैं। मैं यह कविता अपने जान-पहचान के बहुत से लोगों को भेज चुकी हूँ और अभी यह काम रुका नहीं है।<br /><br />मैंने अभी सुमन घई जी से सुना कि आप जुलाई में टोरांटो आ रहीं हैं। यह समाचार सुन कर मैं व्यक्तिगत रूप से और संस्थागत (हिन्दी राइटर्स गिल्ड) रूप से बहुत प्रसन्न और मिलने के लिये उत्सुक हूँ। आप लिखियेगा कि आप कब आ रही हैं और कितने दिन ठहरने का कार्यक्रम है? आप कहाँ ठहरेंगी? यहाँ बहुत से हिन्दी प्रेमी और लेखक हैं अत: बिना मिले जाने का न सोचियेगा। मैं आप को टोरांटो के सभी हिन्दी प्रेमियों की ओर से "काव्य-संध्या" (जब आप कहें तब) के लिये निमंत्रित करती हूँ।<br /><br />आशा है कि आप मेरा स्नेह-निमंत्रण स्वीकार करेंगी। <br />पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,<br /><br />सादर<br />शैलजा सक्सेना<br />2010/5/9Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-56371998339698624182010-05-26T09:08:27.895-05:002010-05-26T09:08:27.895-05:00राजीव थेपरा द्वारा हिन्दी-भारत समूह पर प्रेषित -
...राजीव थेपरा द्वारा हिन्दी-भारत समूह पर प्रेषित -<br /><br /><br />क्या कहूँ.....सब कुछ तो आपने कह ही दिया......<br /><br />भूतनाथKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-75540058290996561952010-05-26T09:06:49.739-05:002010-05-26T09:06:49.739-05:00हिन्दी-भारत समूह पर भेजा गया सन्देश -
आदरणीया कवि...हिन्दी-भारत समूह पर भेजा गया सन्देश -<br /><br />आदरणीया कविता जी,<br />बहुत ही भाव पूर्ण मार्मिक रचना I मन को आत्म विभोर कर गई I आपकी पुस्तक पढने की इच्छा हुयी I कृपया बतायिगा कि कहाँ उपलब्ध हो सकती है अभी मैं अगले एक माह तक लन्दन में हूँ. <br /><br />सादर <br />श्रीप्रकाश(शुक्ल)Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-58789267809840668342010-05-26T09:05:19.607-05:002010-05-26T09:05:19.607-05:00Sampat Devi Murarka जी का भेजा सन्देश
कविता जी , ...Sampat Devi Murarka जी का भेजा सन्देश<br /><br />कविता जी , <br /> इस खुबसूरत कविता के लिए बधाई |<br /><br /><br /> - सम्पतKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-47502504683956103562010-05-15T07:24:36.914-05:002010-05-15T07:24:36.914-05:00राजेश्वर वशिष्ठ जी का भेजा सन्देश-
कविता जी,
मा...राजेश्वर वशिष्ठ जी का भेजा सन्देश-<br /><br /><br />कविता जी, <br />माँ तो ऐसी ही होती है । यहाँ तो फर्क करना भी मुश्किल हो रहा है कि कविता में आई माँ आपकी है या मेरी ........ शायद हम सब की । कविता की आंतरिक लय इसे और भी खूबसूरत बना देती है । साधुवाद..... <br /><br />राजेश्वर वशिष्ठ <br />09818516400Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-67543392041186021542010-05-11T14:53:00.972-05:002010-05-11T14:53:00.972-05:00जबलपुर से आनन्द कृष्ण जी की राय -
bahut sunder k...जबलपुर से आनन्द कृष्ण जी की राय -<br /><br /><br />bahut sunder kavitaa hai....... kya likhun-? shabd gum ho jaate hain. aapkaa lekhan apratim hai.<br /> <br />aapse yadi main na milaa hotaa to main soch bhi nahi saktaa thaa ki koi manushy itnee adhik kshamtaon se paripoorn ho sakta hai........<br /> <br />maan par aapki kavita padhte huye mujhe lag rahaa thaa ki "aap apni maan ki sarvshreshth kavita hain."<br /> <br />abhinandan sahit-<br /><br />आनंदकृष्ण, जबलपुर <br />मोबाइल : 09425800818Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-86491341942509863882010-05-11T14:51:49.279-05:002010-05-11T14:51:49.279-05:00कमलकान्त बुधकर जी का हिन्दी-भारत समूह पर भेजा संदे...कमलकान्त बुधकर जी का हिन्दी-भारत समूह पर भेजा संदेश -<br /><br />कविता जी,<br /><br />आपकी यह कविता पढ़ते पढ़ते आंखों की कोर कब भीग गईं, पता ही नहीं चला । <br /><br />मेरी अपनी मां तो मुझे याद नहीं, पर आपकी कविता और प्रिय योगेश छिब्बर की कविता ने मां से नऐ सिरे से परिचय कराया है।<br /><br />कमलकांत बुधकर<br />हरिद्वारKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-35488278022090081782010-05-10T08:49:47.162-05:002010-05-10T08:49:47.162-05:00hriday mey utar gayee hai ye kavita...kavita ka ka...hriday mey utar gayee hai ye kavita...kavita ka kavita rachana kavita ko amritva pradan kar deta hai.girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-43317856725098288732010-05-10T08:22:53.137-05:002010-05-10T08:22:53.137-05:00ईमेल द्वारा हिन्दी-भारत समूह पर आया सन्देश
कविता ...ईमेल द्वारा हिन्दी-भारत समूह पर आया सन्देश<br /><br />कविता जी अत्यंत भाव-प्रवण रचना एवं मेरी माँ को भी मेरे समक्ष उपस्थित करने हेतु साधुवाद स्वीकार करें.<br /> <br />उम्मीद है आगे भी आपकी रचनाओ का क्रम चलता रहेगा.<br /><br /> अंत में मेरी बधाई फिर से स्वीकार करें.<br /> <br />आपका <br />विजय ठाकुर <br />************ *<br />Vijay Thakur<br />DelhiKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-4055271195722833322010-05-10T08:14:48.378-05:002010-05-10T08:14:48.378-05:00मां तुझे सलाम...मां तुझे सलाम...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-31882282550277388692010-05-09T14:53:39.564-05:002010-05-09T14:53:39.564-05:00शकुन्तला बहादुर जी का सन्देश
कविता जी,
...शकुन्तला बहादुर जी का सन्देश<br /><br /><br /> कविता जी,<br /> आपकी इस अत्यन्त मार्मिक रचना ने मन के तारों को आन्दोलित कर दिया।<br /><br /> एक सहज स्वाभाविक अभिव्यक्ति के लिये साधुवाद!!<br /> <br /> -शकुन्तला बहादुरKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-42984270554739269292010-05-09T14:52:11.883-05:002010-05-09T14:52:11.883-05:00ईमेल द्वारा प्राप्त प्रतिभा सक्सेना जी का सन्देश
...ईमेल द्वारा प्राप्त प्रतिभा सक्सेना जी का सन्देश<br /><br />आ. कविता जी ,<br />माँ से जुड़े सारे दृष्य आँखों के आगे घूमने लगे - साधुवाद !<br />- प्रतिभा.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-90025633466943287162010-05-09T12:22:53.955-05:002010-05-09T12:22:53.955-05:00''जैसे अमरित के झरने से
झर झर झर मुस्काने...''जैसे अमरित के झरने से <br />झर झर झर मुस्कानें झरतीं, <br />मेरे मन में <br />अभी तलक माँ <br />वैसी की वैसी जवान है.''<br /><br />-अत्यंत मार्मिक रचना के लिए अभिनंदन!!!RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-11509852598023019622010-05-09T11:53:40.350-05:002010-05-09T11:53:40.350-05:00ईमेल द्वारा प्राप्त राकेश पाण्डेय जी (प्रवासी संसा...ईमेल द्वारा प्राप्त राकेश पाण्डेय जी (प्रवासी संसार) का सन्देश<br /><br /><br /><b> स्पर्श </b><br /><br /><br />माँ<br />तुम्हारा <br />प्रथम स्पर्श <br />इतना ऊष्ण था कि <br />पाषाण पिघल जाये!<br />माँ<br />तुम्हारा <br />अंतिम स्पर्श <br />इतना शीतल था कि <br />पाषाण हिम बन जाये!<br /><br />-राकेश पाण्डेयKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-70788219419809083232010-05-09T11:50:38.600-05:002010-05-09T11:50:38.600-05:00ईमेल द्वारा प्राप्त इला प्रसाद जी का सन्देश
यथार...ईमेल द्वारा प्राप्त इला प्रसाद जी का सन्देश<br /><br /><br />यथार्थ का इतना सम्वेदनशील चित्रण !<br /> बधाई!<br /><br />- इलाKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-21111994905554885342010-05-09T11:49:15.756-05:002010-05-09T11:49:15.756-05:00ईमल द्वारा प्राप्त सन्देश
कविता जी,
'मदर्स ...ईमल द्वारा प्राप्त सन्देश<br /><br /><br />कविता जी,<br /><br />'मदर्स डे' पर लिखी गई बहुत अच्छी कविता है. बधाई. <br /><br />रमाकांत गुप्ता<br />मुंबईKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-4494722919212649612010-05-09T11:08:58.965-05:002010-05-09T11:08:58.965-05:00Vashini Sharma commented on your link:
"कवित...Vashini Sharma commented on your link:<br /><br />"कविता जी ,<br /><br />आपकी कविता "माँ बूढी है"ब्लॉग पर देखी । आज हिंदी -विमर्श के पाठकों तक भी<br />पहुँचती तो सार्थक होती ।<br /><br />वशिनी"Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-54905919672486704772010-05-09T11:06:49.171-05:002010-05-09T11:06:49.171-05:00ईमेल द्वारा प्राप्त प्रभु जोशी जी का सन्देश
maa k...ईमेल द्वारा प्राप्त प्रभु जोशी जी का सन्देश<br /><br />maa ki ek bahut samvaidansheel smriti ki abhivyakti..<br /><br />bahut achha laga..badhayim<br />prabhu joshiKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-31658710027882758752010-05-09T10:58:16.855-05:002010-05-09T10:58:16.855-05:00बहुत ही सुन्दर. एक अक्स बन गया आँखों के सामने .......बहुत ही सुन्दर. एक अक्स बन गया आँखों के सामने ....अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.com