tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post3829934856360710242..comments2023-11-16T02:43:41.183-06:00Comments on वागर्थ: पितर, श्राद्ध और विधि Unknownnoreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-21311897048232422532020-05-29T00:26:30.894-05:002020-05-29T00:26:30.894-05:00इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Shayari imagehttps://www.blogger.com/profile/14199944261042576678noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-51955975432945600462019-09-21T11:24:58.373-05:002019-09-21T11:24:58.373-05:00इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Susmita Senhttps://www.blogger.com/profile/00644019723559492090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-49624748054568960502015-02-27T13:35:47.213-06:002015-02-27T13:35:47.213-06:00These karmakandi Brahmans know how to earn their l...These karmakandi Brahmans know how to earn their livelihood and they are very good at marketing since ancient time.kenhttps://www.blogger.com/profile/15019060733149644280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-27797599398582967722014-09-09T12:15:53.572-05:002014-09-09T12:15:53.572-05:00हमारे सभी संस्कारों पर केवल रीति निभाने और औपचारिक...हमारे सभी संस्कारों पर केवल रीति निभाने और औपचारिकताओं का साया पड़ा हुआ है...आपने उसे वैज्ञानिक शैली से लिखा है...इसमें कुछ भी गलत नहीं है...परंपराओं को अर्थदोहन का प्रकार बना लिया गया है और हिंदू ऊन उगाने वाला भेड़ मान लिया गया है...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-47539121634349156672013-10-01T03:21:26.766-05:002013-10-01T03:21:26.766-05:00बहुत सारगर्भित आलेख...काश आज का समाज इसे समझ सकता....बहुत सारगर्भित आलेख...काश आज का समाज इसे समझ सकता..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-78017156236440216762013-09-27T21:15:02.401-05:002013-09-27T21:15:02.401-05:00उपयोगी जानकारियां दी हैं आपनेउपयोगी जानकारियां दी हैं आपनेतेजवानी गिरधरhttps://www.blogger.com/profile/14373579732591050418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-89083383084241311472013-09-27T11:34:55.446-05:002013-09-27T11:34:55.446-05:00परम्पराओं पर बार बार विचार होते रहना चाहिए.पुराने ...परम्पराओं पर बार बार विचार होते रहना चाहिए.पुराने अर्थों को समझना और नए अर्थ देना भी ज़रूरी है ताकि भली बातें कालातीत न हों. श्राद्ध / पितृ पक्ष को यदि समाज में उपेक्षा झेल रहे जीवित पितरों के प्रति दायित्वबोध जगाने के लिए काम में लाया जा सके तो बहुत कुछ बदला जा सकता है. लेखिका की सामाजिक संलग्नता श्लाघनीय है.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-84507332450358092222013-09-27T06:27:25.561-05:002013-09-27T06:27:25.561-05:00संजीव जी, धर्म आपकी दृष्टि में भले अपराध होगा, परं...संजीव जी, धर्म आपकी दृष्टि में भले अपराध होगा, परंतु मेरी दृष्टि में नहीं। इसलिए लेख यदि धार्मिक है तो उसके लिए मुझे किसी से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं। <br />Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-8833807309904764292013-09-27T06:14:51.729-05:002013-09-27T06:14:51.729-05:00श्राद्ध, वह भी श्रद्धा के साथश्राद्ध, वह भी श्रद्धा के साथप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-89911204535781869482013-09-26T23:02:56.986-05:002013-09-26T23:02:56.986-05:00यह पूर्णत धर्मिक लेख है जिसे गोल मोल ढंग से विज्ञा...यह पूर्णत धर्मिक लेख है जिसे गोल मोल ढंग से विज्ञान से जोडने की कोशिश की गई है।sanjeev khudshahhttps://www.blogger.com/profile/14597757517840066043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5381268686604795999.post-33411471398802912712013-09-26T22:22:03.921-05:002013-09-26T22:22:03.921-05:00बिलकुल ठीक कहा है आपने । आज श्राद्ध को औपचारिक रस्...बिलकुल ठीक कहा है आपने । आज श्राद्ध को औपचारिक रस्म मानकर किया जाता है । एक कार्य है जो करना है जिसमें से श्रद्धा तत्व अधिकांश जगह गायब रहता है । अतः श्राद्ध बहले न भी हो किन्तु अपने पूर्वजों के प्रति इन दिनों में सम्मान / श्रद्धा अवशया हो । प्रो.(डॉ०) विष्णु कुमार अग्रवाल https://www.blogger.com/profile/16188104041498497912noreply@blogger.com